आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं राजधानी लखनऊ में सिविल अस्पताल के एक वरिष्ठ टेक्नीशियन अशोक गुप्ता की एसजीपीजीआइ अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार को कोरोना से मौत हो गई। डॉक्टर इसे साइलेंट कोरोना से मौत होना मान रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टेक्नीशियन की कई बार कोरोना जांच की गई थी, लेकिन सारी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी, जबकि सीटी स्कैन व एक्स-रे करने पर मरीज के फेफड़े में गंभीर संक्रमण देखा गया था। यह संक्रमण ठीक उसी प्रकार का था, जैसे कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मरीजों के फेफड़ों में दिखता है। इसलिए डॉक्टर टेक्नीशियन की मौत को साइलेंट कोरोना से मौत मान रहे हैं।
दरअसल कई मरीजों में कोरोना वायरस का संक्रमण तो रहता है, लेकिन जांच में भी इसकी मौजूदगी का सही पता नहीं चल पाता है। इसे साइलेंट कोरोना की संज्ञा दी जाती है। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ टेक्नीशियन व विकासनगर निवासी अशोक गुप्ता में भी 15 दिनों पहले कोरोना के लक्षण विकसित हुए थे।
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जिसके बाद कई बार उनकी कोरोना जांच कराई गई थी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी, जबकि उनके फेफड़े में लगातार संक्रमण बना हुआ था। उन्हें ऑक्सीजन लेने में भी दिक्कत हो रही थी। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें एसजीपीजीआइ में भर्ती कराया गया था। वहां भर्ती होने से पहले व उसके बाद भी मरीज की कई बार आरटी पीसीआर जांच हुई थी, लेकिन उस दौरान भी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
हांलाकि डॉक्टरों ने सीटी स्कैन और एक्स-रे करके देखा तो फेफड़े में ठीक वैसा संक्रमण पाया गया जैसा कोरोना होने पर मरीजों को होता है। मगर कोरोना रिपोर्ट हर बार निगेटिव होने से डॉक्टर भी हैरान थे। सिविल अस्पताल के अनुसार उनकी सेवानिवृत्ति में सिर्फ एक डेढ़ वर्ष ही शेष बचे थे। रविवार को सुबह उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार कई बार कोरोना होने के बाद भी रिपोर्ट में वायरस पकड़ में नहीं आता है। टेक्नीशियन में सारे लक्षण कोरोना जैसे ही थे। इसलिए इसे साइलेंट कोरोना से हुई मौत माना जा रहा है।