आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘‘नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए किसानों से अपील की है कि वह फसल काटने के बाद उसके अपशिष्ट (पराली) को खेत में न जलाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली जलाने से भूसे के रूप में आप न केवल बेजुबान जानवरों का हक मारते हैं, बल्कि पराली के साथ ही मिट्टी में मौजूद करोड़ों की संख्या में मित्र बैक्टीरिया और फंफूद जल जाते हैं।
सीएम ने कहा पराली जलाने से पर्यावरण और खेत की उर्वरा शक्ति को स्थाई क्षति पहुंचती है। इस दौरान योगी ने संबंधित विभागों से भी किसानों को जागरुक करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि किसानों में उस तकनीक को लोक प्रिय करें, जिससे पराली जलाने की जगह आसानी से उसको जैविक खाद में बदला जा सके।
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साथ ही योगी ने आगे कहा कि पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरा रही है। लिहाजा हम ही इसका नेतृत्व भी कर सकते हैं। प्रकृति का जरूरत से अधिक दोहन होने पर हम खुद प्रकृति के कोप के शिकार हो जाएंगे। हाल के वर्षों में यह हुआ है। यही वजह है कि पर्यावरण प्रदूषण गंभीर वैश्विक समस्या बनकर उभरा है। प्रकृति से प्रेम और तकनीक पर अमल से इस गंभीर समस्या से पार पाया जा सकता है।
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वहीं कुंभ का उदाहरण देते हुए योगी ने कहा कि पूरी दुनिया में कुम्भ की दिव्यता, भव्यता और स्वच्छता की सराहना हुई। इससे साबित होता है कि अगर योजना बनाकर हम उस पर प्रभावी तरीके से अमल करें तो प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी इसी कड़ी का हिस्सा है।