आरयू वेब टीम।
देश की नसों में भ्रष्टाचार खून बनकर दौड़ रहा है, ये कौन नहीं जानता। भ्रष्टाचार की ही वजह से आज देश काफी पीछे है, ये भी देश की जागरूक जनता अच्छे से समझती है। इन सबके बाद भी कई बार देश में भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला सुर्खियों में होने के बाद भी ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जिसके खिलाफ जनता आवाज उठाती है।
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कुछ ऐसा ही मामला आज सामने आया है, जेल में अन्नाद्रमुक नेता वीके शिशकला को मिल रही बेहद वीआईपी सुविधाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाली कर्नाटक की डीआईजी जेल डी. रूपा को उनके पद से हटा दिया गया है।
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कहा जा रहा है कर्नाटक सरकार ने दबंग आईपीएस अफसर को यह सजा बेंगलुरू के केंद्रीय कारागार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और भारी अनियमितताओं का पदार्फाश करने के स्वरूप दी है। हालांकि डी. रूपा को अब ट्रैफिक विभाग की जिम्मेदारी देने वाली सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार इसे विभाग की रूटीन प्रक्रिया बता रही है।
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गौरतलब है कि वीके शशिकला के साथ जेल में ‘विशेष सलूक’ किए जाने पर रिपोर्ट देने वाली वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डी रूपा को राज्य सरकार ने नोटिस भी जारी किया है। सरकार ने उनसे यह स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने मीडिया को इसकी जानकारी क्यों दी। वहीं, दबंग आईपीएस अफसर ने अपनी बातों पर कायम रहते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी आचरण नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
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दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर में मीडिया से कहा कि डी. रूपा का मीडिया के साथ विवरण साझा करना उनकी तरफ से अनुचित है। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा और सोशल मीडिया पर आरोपों से पुलिस विभाग शर्मसार हुआ है। हालांकि सीएम ने यह भी दावा किया कि डीजी (कारा) एचएन सत्यनारायण राव के खिलाफ रूपा ने जो आरोप लगाए हैं उनकी जांच के आदेश दिए गए हैं।एक सेवानिवृत्त अधिकारी को रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के लिये नियुक्त किया गया है।
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