आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। दलितों के मुद्दे को लेकर मोदी और योगी सरकार पर लगातार सवाल उठा रही बहराईच की सांसद सावित्री बाई फुले ने शुक्रवार को एक बार फिर हमला बोला है। एक ओर मोदी और योगी सरकार के साथ ही भाजपा खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में लगी है, वहीं ऐसे समय में भाजपा की ही सांसद ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में दलितों की हालत आजादी के बाद से सबसे ज्यादा खराब है। उन्होंने दलितों के घर भोजन करने का भाजपा की नौटंकी बताया है।
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भाजपा सांसद ने अपने एक बयान के जरिए योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश भर मे दलितों पर अत्याचार बढ़ा है। एक-एक कर दलित समाज का सारा संवैधानिक अधिकार समाप्त किया जा रहा है।
भाजपा सांसद ने हमला जारी रखते हुए कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मे इस तरह का कुकृत्य शोभा नही देता। यह देश के लगभग 30 करोड़ दलितों का घोर अपमान है। यदि भाजपा एवं उसकी सरकार दलित हितैषी है, तो उसे दलितों के घर का बना भोजन करने का नाटक करना छोड़कर, दलितों को रोजगार दे, बैकलाग के पदों को भरे, 117वां संविधान संशोधन विधेयक संसद में पास कराए, अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारक एक्ट को बहाल करने के लिए तत्काल अध्यादेश जारी करे। अन्यथा दलित समाज अब भाजपा के झांसे में नही आने वाला है। दलितों को सम्मान एवं उनका हक उन्हें देना ही होगा, अन्यथा दलितों के घर भोजन करने का नाटक भाजपा को बहुत भारी पड़ने वाला है।
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क्या भाजपा दलितों के घर भोजन कर उन्हें दलित होने का करा रही एहसास
बीजेपी सांसद ने भाजपा नेताओं के दलितों के घर में भोजन करने पर सवाल उठाते हुए ये भी कहा कि क्या भाजपा दलितों के घर भोजन कर उन्हें दलित होने का एहसास करा रही है? ये दलित प्रेम है या दलित वोट बैंक पर नजर, दलित बुद्धिजीवि भी भाजपा के इस कथित “दलित प्रेम को देखकर न सिर्फ हतप्रभ बल्कि आक्रोशित भी है।
उदाहरण देते हुए सावित्री फुले मीडिया से बोली कि चाहे प्रमोशन में आरक्षण की समाप्ति हो, दलित अत्याचार निवारक एक्ट हो, विश्वविद्यालयों के रोस्टर में बदलाव हो, दलित अधिकारियों तथा कर्मचारियों का व्यापक शोषण की बात हो या फिर दलित महिलाओं के साथ रेप का मामला हो। हर तरह से दलितों का अहित किया जा रहा है, जिसके कारण आज दलित समाज मे बीजेपी के खिलाफ व्यापक रोष व्याप्त है।
इस उम्मीद के साथ किया था मतदान
सावित्री फुले ने कहा कि 2014 के आम चुनाव में बीजेपी को दलित समाज ने खुलकर इस उम्मीद के साथ मतदान किया था कि मोदी जी दलितों का सशक्तिकरण करेंगे और उन्हें रोजगार देकर उनका जीवन स्तर सुधरेंगे, लेकिन केंद्र सरकार के चार साल बीत जाने के बाद आज दलित समाज इतना पीड़ित एवं लाचार है, जितना आजादी के बाद कभी नहीं था।
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