आरयू वेब टीम।
पंजाब पुलिस प्रमुख के रूप में उग्रवाद से निपटने में अहम भूमिका निभाने वाले एवं पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व पुलिस अधिकारी जूलियो रिबेरो ने जम्मू-कश्मीर के 370 के संबंध में केंद्र सरकार के हालिया फैसले को एक पुलिसकर्मी के नजरिए से तो सही ठहराया है, लेकिन ‘‘नैतिकता’’ के दृष्टिकोण से इस पर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे मामलों में लोगों की इच्छा ही सबसे महत्वपूर्ण होती है।
उन्होंने कहा कि ‘‘नैतिकता’’ के दृष्टिकोण से वह ऐसा फैसला कभी नहीं लेते जैसा केंद्र सरकार ने लिया है। 1980 के दशक में पुलिस प्रमुख के रूप में पंजाब में उग्रवाद से सख्ती से निपटने के लिए जाने जाने वाले रिबेरो ने न्यूज एजेंसी’ से बातचीत में कहा कि ‘‘एक पुलिसकर्मी के तौर पर यदि आपको यह सुनिश्चित करना है कि कोई दिक्कत पैदा न हो, तो यह बहुत चतुराई से किया गया। पुलिस के नजरिए से, मैं इसे पूरे नंबर दूंगा, लेकिन नैतिकता के आधार से मैं ऐसा नहीं करूंगा। लोगों को शामिल किया जाना चाहिए।’’
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, जानिए CJI और केंद्र सरकार ने क्या कहा
पूर्व पुलिस आयुक्त ने आगे कहा, ‘‘लोगों को अपने विश्वास में लेना सबसे महत्वपूर्ण बात है और उसे (सरकार को) ऐसा करना ही होगा, अन्यथा आपको समस्या होगी। लोगों को अपने पक्ष में करना ही मामले का मूल आधार है।’’ रिबेरो ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनने का अनुरोध किया था और जब उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया तो उन्होंने फारूक अब्दुल्ला को उन्हें राजी करने की जिम्मेदारी सौंपी। वाजपेयी को यह पता चला था कि वह लोगों को विश्वास में लेकर किस प्रकार पंजाब में उग्रवाद से निपटे और वह कश्मीर में भी ऐसा ही करना चाहते थे।
रिबेरो ने कहा कि मैंने कहा कि राज्यपाल के तौर पर मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं पुलिस महानिदेशक या राज्यपाल के सलाहकार के तौर पर ऐसा कर सकता हूं, लेकिन राज्यपाल के तौर पर मैं ऐसा नहीं कर सकता।