आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। फर्जी पुलिसकर्मियों के ठगी करने और पकड़े जाने के मामले तो अपने कई देखे और सुनें होंगे, लेकिन सूबे की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज थाने में कुछ इसी प्रकार का लेकिन बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
मारपीट के एक मामले में साथियों की पैरवी करने कोतवाली पहुंची फर्जी महिला इंस्पेक्टर को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वो अपने अन्य दो फर्जी पुलिसकर्मी साथियों के साथ संदेह के आधार पर किए गए सवालों के सही जवाब नहीं दे सकी। मोहनलालगंज पुलिस ने तीनों फर्जी पुलिसकर्मियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए आज उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
इंस्पेक्टर मोहनलालगंज ने बताया कि सोमवार को इलाके में दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी। एक पक्ष की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था। वहीं देर रात दूसरे पक्ष की ओर से भी एफआइआर दर्ज कराने के लिए स्कार्पियो से वर्दी पहने फर्जी महिला इंस्पेक्टर दो लोगों को साथ लेकर कोतवाली पहुंची थी। शाहीन बानों की वर्दी पर नेमप्लेट लगाए फर्जी इंस्पेक्टर ने कोतवाली साथ पहुंचे दोनों फर्जी पुलिसकर्मियों में से एक को अपना ड्राइवर जबकि दूसरे को हमराह बताया।
इस बीच पुलिस ने फर्जी इंस्पेक्टर के हाव-भाव सही नहीं देख उसकी वर्दी पर गौर किया तो पाया कि महिला ने लाल की जगह काले जूते पहने हुए थे, वहीं वर्दी पर पुलिस का मोनोग्राम बाएं के बजाय दाएं हाथ पर लगा था। इतना ही नहीं उसने बेल्ट भी उल्टी लगायी थी।
वर्दी गड़बड़ देख पुलिस का शक मजबूत हुआ तो उसने महिला से उसकी तैनाती और बैच के बारे में पूछा।
महिला बैच बताने के सवाल पर हड़बड़ा गयी जबकि, उसने अपनी तैनाती अमेठी जिले के नगर कोतवाली में बताया। इस पर इंस्पेक्टर मोहनलालगंज ने अमेठी कोतवाली के इंस्पेक्टर से संपर्क किया तो पता चला कि वहां कोई महिला इंस्पेक्टर तैनात ही नहीं है।
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तमाम बातें साफ होने पर पुलिस ने कड़ाई की तो फर्जी इंस्पेक्टर ने अपना नाम शाहीन बानो निवासी इंदौरा, थाना महाराजगंज रायबरेली बताया। वहीं उसके दोनों साथियों ने अपनी सही पहचान जाहिर करते हुए पुलिस को बताया कि एक रामकिशोर गजियापुर शखेपुर समाधा का रहने वाला है, जबकि दूसरा भी रायबरेली जिले के हरचंदपुर निवासी जितेंद्र है। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा लिखते हुए आगे की कार्रवाई की। पकड़े गए पुलिसकर्मी जिसकी पैरवी में आए थे वो जितेंद्र का परिचित था।
दूसरी ओर फर्जी इंस्पेक्टर का दावा था कि उसकी शादी का केस फैमिली कोर्ट में चल रहा है, इसी बीच उसकी मुलाकात फैमिली कोर्ट में पुलिस की ही वर्दी पहने सुनील अग्रवाल नाम के शख्स से हुई थी। सुनील ने पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर उससे 12 हजार रुपए लिए थे और उसने ही वर्दी भी सिलवाकर दी थी।
एसपीआरए ने बताया कि तीनों फर्जी पुलिसकर्मियों को जेल भेजने के साथ ही पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है। साथ ही पुलिस ये भी पता लगा रही है कि वर्दी की आड़ में अब तक उन लोगों ने कौन-कौन से अपराध किए हैं।