आरयू इंटरनेशनल डेस्क। इंडोनेशिया के बाली में मंगलवार को वार्षिक जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई, जिसमें कई वैश्विक नेताओं ने शिरकत किया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैंने हमेशा कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्ध विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली सदी में डब्लूडब्लूआइआइ ने दुनिया में कहर बरपाया था, जिसके बाद उस समय के नेताओं ने शांति का रास्ता अपनाने का गंभीर प्रयास किया, अब हमारी बारी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन का जिक्र करते हुए वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण वातावरण के बीच जी-20 के नेतृत्व के लिए इंडोनेशिया की भी तारीफ की। मोदी ने आगे कहा, हमें यह स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थान वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में असफल रहे हैं।
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बताते चले कि इंडोनेशिया जी-20 समूह का वर्तमान अध्यक्ष है। भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा। इंडोनेशिया ने करीब एक साल पहले जी-20 की अध्यक्षता संभालते हुए ‘‘एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें” का नारा दिया था, जो उस समय कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप की मार झेल रही दुनिया के लिए एकदम उपयुक्त था, हालांकि आज यह नारा थोड़ा कम प्रासंगिक प्रतीत हो रहा। खासकर तब, जब रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद विश्व आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और खाद्य एवं ऊर्जा स्रोतों की कमी का संकट मंडरा रहा है।
दरअसल जी-20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली संगठन है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।