#CABProtest: जामिया इलाके में हिंसक हुआ प्रदर्शन, बसों में लगाई आग, कैंपस में घुसी पुलिस, लगे संगीन आरोप

जामिया
प्रदर्शन के दौरान बस में लगाई गई आग।

आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन कानून (सीएबी) पर देशभर में विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं। दिल्ली के जामिया नगर में इस कानून के खिलाफ हो रहा प्रदर्शन रविवार को हिंसक हो गया। पिछले तीन दिन से यहां जामिया के छात्र संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। आज छात्रों के साथ कई अन्‍य लोग भी प्रदर्शन में शामिल हो गए।

प्रदर्शनकारियों ने जामिया से संसद तक जाने की कोशिश कि, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया है। प्रदर्शनकारियों ने तीन बसों में आग लगा दी, आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की चार गाड़ियां मौके पर पहुंची, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने दमकल एक गाड़ी में भी तोड़फोड़ की जिसमें एक फायरमैन को चोट लगी है। वहीं, दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर जानकारी दी कि प्रदर्शन की वजह से ओखला अंडरपास से सरिता विहार तक के रास्ते को बंद किया गया है।

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दूसरी ओर, जामिया छात्र संघ ने जामिया नगर में हिंसक प्रदर्शन में छात्रों का हाथ होने से इनकार किया है। जामिया शिक्षक संघ ने भी यही कहा कि उग्र प्रदर्शन में उनके छात्र शामिल नहीं हैं। वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। यह जामिया और उसके शांतिपूर्वक ढ़ग से चल रहे प्रदर्शन को बदनाम करने की साजिश है। छात्र-छात्राओं का दावा था कि इस साजिश में राजनीतिक दल के अलावा पुलिस भी शमिल है।

छात्र-छात्राओं का आरोप था कि पुलिस सारी मर्यादाओं को लांधते हुए आज शाम कंपस में घुसी और पढ़ाई कर रहे छात्रों को भी जमकर मारापीटा। पुलिस की बर्बर कार्रवाई में दर्जनों छात्र-छात्राएं घायल हैं। वहीं प्रदर्शन के दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों की ओर से गोलियां चलाए जाने की बात भी कही जा रही है, हालांकि अभी इसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गयी है। वहीं, परिसर में प्रवेश को लेकर पुलिस ने कहा कि हम केवल हिंसा को नियंत्रित करने गए थे।

वहीं विश्‍वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद ने आरोप लगाते हुए मीडिया से कहा कि “पुलिस ने बल प्रयोग कर परिसर में प्रवेश किया है। प्रवेश को लेकर उन्हे कोई अनुमति नहीं दी गई थी। हमारे कर्मचारियों और छात्रों को पीटा गया है और परिसर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को विश्‍वविद्यालय परिसर उस समय युद्ध का मैदान बन गया जब विवादित संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए संसद मार्च करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई।

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