आरयू ब्यूरो, लखनऊ। चारबाग क्षेत्र स्थित होटल विराट व एसएसजे में हुए अग्निकांड में मासूम समेत सात लोगों की जान गए भले ही करीब 31 महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई बार मांगे जाने के बावजूद एलडीए अग्निकांड के जिम्मेदार इंजीनियर व कर्मियों के नाम की पूरी लिस्ट आज भी शासन को नहीं सौंप सका है।
पिछले दिनों खुद सीएम योगी की नाराजगी व शासन की सख्ती के बाद आज एलडीए ने किसी तरह लिस्ट भेजी तो शासन ने उसे अधूरी बताते हुए पूरी कर लाने को कहा। सोमवार रात तक एलडीए में लिस्ट से छूटे इंजीनियर व कर्मियों के नाम तलाशे जाते रहें। समझा जा रहा है कि मंगलवार को लिस्ट शासन को भेज दी जाएगी। हालांकि इस बारे में आज एलडीए के अधिकारी व इंजीनियर बोलने से कतराते रहें।
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वहीं अवैध होटलों के निर्माण को छूट देकर किसी न किसी तरह से अग्निकांड के जिम्मेदार एलडीए के इंजीनियर व कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए शासन में विशेष सचिव आवास रणविजय सिंह की ओर से आज एक बार फिर बैठक की गयी। पूर्व निर्धारित बैठक में हाल ही में प्रभारी अधिकारी अधिष्ठान का चार्ज संभालने वाली ऋतु सुहास साल 2010 से 2018 तक चारबाग क्षेत्र में तैनात रहे अधिशासी, सहायक व अवर अभियंताओं के नाम की लिस्ट लेकर पहुंची थी, लेकिन लिस्ट में सुपरवाइजरों के नाम व अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं होने से नाराज शासन के अधिकारियों ने सूची पूरी कर तैनाती के साक्ष्य के साथ आज शाम तक ही उसे सौंपने के लिए एलडीए से कहा था।
इन पर थी अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी
सात जान लेने वाले अवैध होटल विराट व एसएसजे के निर्माण से लेकर अग्निकांड होने तक रिश्वतखोरी व लापरवाही की वजह से उसे बचाने वाले इंजीनियर व कर्मचारियों के नामों का भले ही एलडीए के अधिकारी खुलासा करने से बचते रहें।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साल 2010 से जून 2018 (अग्निकांड होने तक) चारबाग इलाके में अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार, आरके शुक्ला, डीसी यादव, दुर्गेश श्रीवास्तव, अजय कुमार सिंह व ओपी मिश्रा के अलावा सहायक अभियंता अजीत कुमार, राजेंद्र कुमार, बसंत कुमार, राकेश मोहन, आलोक रंजन व ओपी गुप्ता पर थी।
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इसके अलावा जूनियर इंजीनियर मोहन चंद्र सती, धन्नी राम, लाल जी शुक्ला, जनार्दन सिंह, गजराज सिंह, प्रमोद कुमार वर्मा, अनिल कुमार सिंह सेकेंड, सतीश चंद्र, अरविंद उपाध्याय, पीएन पांडेय, वीके गुप्ता, रविंद्र सिंह, अनिल कुमार सिंह प्रथम, अनिल मिश्रा व रविंद्र श्रीवास्तव को एलडीए की ओर से अवैध निर्माण रोकने के लिए इन आठ सालों में चारबाग क्षेत्र में तैनाती दी गयी थी।
उपरोक्त इंजीनियरों के अलावा होटलों के निर्माण से लेकर अग्निकांड होने तक एलडीए ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी श्रीप्रकाश तिवारी, शीतला प्रसाद, राम सजीवन यादव, चिंतामणि प्रसाद, श्रीराम कश्यप व रामपाल पर चारबाग इलाके में अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी दी थी।
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कहा जा रहा है कि इन नामों के साथ चारबाग क्षेत्र में तैनात रहें कुछ इंजीनियरों व कर्मचारियों के नामों को और जोड़कर एलडीए मंगलवार को लिस्ट शासन को सौंप देगा। साथ ही अब तक चिन्हित किए गए इंजीनियर व कर्मियों में से कुछ रिटायर हो चुके हैं, जबकि कुछ दिवंगत भी हो गए हैं, इसके अलावा अधिकतर इंजीनियरों का एलडीए से अन्य प्राधिकरणों के लिए तबादला भी हो चुका है।
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पिछली बार सबूत की वजह से बचे, इस बार साक्ष्य ने ही फंसाया
बताते चलें कि चारबाग होटल अग्निकांड की जांच कर पिछले साल जुलाई में एलडीए के तत्कालीन एडीजी जोन लखनऊ राजीव कृष्ण व एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने 24 अधिकारी, इंजीनियर व कर्मचारियों को दोषी मानते हुए शासन को रिपोर्ट सौंपी थी। हालांकि इस रिपोर्ट पर तब ही सवाल खड़े हो गए थे, जब अधिकतर इंजीनियरों ने शासन को जवाब देते हुए बताया था कि वह लोग चारबाग क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकेन के लिए तैनात ही नहीं किए गए थे। बेहद गंभीर मामला होने के बाद भी रिपोर्ट पर इस तरह का सवाल उठने के बाद अब शासन ने न सिर्फ एलडीए के इंजीनियर व कर्मियों के नाम मांगें हैं, बल्कि उनकी तैनाती के लिए किए गए आदेश की कॉपी भी एलडीए से देने का कहा है। यहीं कॉपी ढूंढने में एलडीए का पसीने छूट रहें हैं, कहा यह भी जा रहा है कि मामले की नजाकत को भांपते व खुद को फंसता देख कुछ शातिर इंजीनियर व कर्मियों ने अपने आदेश की कॉपी को ही एलडीए से गायब करवा दिया है।