आरयू ब्यूरो, लखनऊ। जनता की कमाई के करीब आठ सौ करोड़ से ज्यादा रुपये लगने के बाद भी गोमतीनगर के विपिन खंड स्थित निर्माणाधीन जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआइसी) अपनी बदहाली पर सालों से आंसू बहा रहा है। वहीं सोमवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भारत रत्न जय प्रकाश नारायण की याद में बनाए गए जेपीएनआइसी की बदहाली को लेकर योगी सरकार के साथ ही भाजपा पर निशाना साधा है। अखिलेश ने जेपीएनआइसी की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा है कि ये स्वतंत्रता व लोकतंत्र के रक्षकों के प्रति कुंठित भाजपाई सोच का सबूत है।
आज अखिलेश ने जेपीएनआइसी के साथ अपनी तीन तस्वीरें ट्विट करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार में जेपीएनआइसी की दुर्दशा देखकर दुख भी होता है तथा भाजपा की विकास विरोधी सोच पर क्षोभ भी। भारत रत्न का जिक्र करते हुए अखिलेश ने आगे कहा है कि ये परम आदरणीय जय प्रकाश जी का अपमान भी है और स्वतंत्रता व लोकतंत्र के रक्षकों के प्रति कुंठित भाजपाई सोच का प्रमाण भी। भाजपा स्वतंत्रता व लोकतंत्र की विरोधी है।
अखिलेश की सोशल मीडिया पर शेयर की गयीं फोटो में जेपीएनआइसी का निचला हिस्सा जंगली पेड़ों में गुम होता, जबकि ऊपरी हिस्सा कबाड़ में तबदील होता नजर आ रहा है। बाहरी हिस्सों पर लगाई गयीं टेराकोटा की टाइल्सों का न सिर्फ जगह-जगह से रंग उड़ गया था, बल्कि बड़ी संख्या में टाइल्स गिर चुकी थीं।
रविवार को जेपीएनआइसी के हेलीपैड तक पहुंचे थे अखिलेश
वहीं अपने ड्रीम प्रोजेक्ट जेपीएनआइसी का हाल जानने रविवार को पूर्व सीएम जेपीएनआइसी पहुंचे थे, 18 मंजिल ऊपर बने हेली पैड पर एक मीडिया हाउस के पत्रकार को उन्होंने इंटरव्यू भी दिया था। साथ ही ट्विट पर अपनी व जेपीएनआइसी की फोटो ट्विट करते हुए अखिलेश ने लिखा था कि ‘लाल टोपी’ के प्रणेता जेपी जी को याद करते हुए लखनऊ की उच्चतम इमारत से उच्च समाजवादी विचारों का एक साक्षात्कार। स्वतंत्रता आंदोलन और आपातकाल में स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई लड़ने वाले जय प्रकाश जी के विराट योगदान की स्मृति स्वरूप जनहित में विशाल जेपीएनआइसी का निर्माण सपा ने किया था।
एक्सईएन को दी गयी नोटिस!
वहीं आज एलडीए खुलने पर एलडीए के अफसरों ने संबंधित इंजीनियरों से जानकारी की आखिर जेपीएनआइसी के बंद रहने के बावजूद अखिलेश यादव हेलीपैड तक कैसे पहुंच गए। कहा यह भी जा रहा है कि जेपीएनआइसी की सुरक्षा व्यवस्था में चूक के चलते संबंधित एक्सईएन को नोटिस भी दी गयी, हालांकि इस बारे में अधिकारी खुलकर पुष्टि करने से कतरा रहें हैं।
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बताते चलें कि आठ सौ से ज्यादा करोड़ खर्च होने के बाद भी जेपीएनआइसी का निर्माण मात्र सवा सौ करोड़ के बजट की कमी के चलते से पूरा नहीं हो पा रहा है। साल 2017 में अखिलेश की सरकार जाने के बाद जेपीएनआइसी के फीनिशिंग का काम सालों भ्रष्टाचार की जांच के नाम पर ही अटका रहा। योगी सरकार बनने के ठीक बाद इसकी जांच कर रहे पूर्व राज्य मंत्री आवास सुरेश पासी ने भी जेपीएनआइसी में करोड़ों का घोटाला होने का दावा किया था, हालांकि चार साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
सरकार ने दिए करीब 70 करोड़, काम नहीं बढ़ा आगे!
कहा जाता है कि सत्ता में आने के करीब ढाई साल बाद योगी सरकार ने लगभग 70 करोड़ रुपये का बजट एलडीए को जेपीएनआइसी के लिए दिया था, लेकिन इस बजट को एलडीए के इंजीनियर व अफसर ठेकेदार का पिछला भुगतान करने के नाम पर खर्च कर बैठ गए और निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ सका। वर्तमान में एलडीए के अधिकारियों का कहना है कि करीब सवा सौ करोड़ रुपये शासन से मिल जाए तो जेपीएनआइसी का काम पूरा हो जाए।
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दो साल से म्यूजियम भी बंद
करीब दो साल पहले कोरोना काल शुरू होने पर शहर के सभी पार्क व स्मारकों की तरह जेपीएनआइसी में चल रहे एक मात्र म्यूजियम को भी बंद कर दिया गया। हालांकि पार्कों को खुले करीब साल भर हो गए, लेकिन म्यूजियम आज भी आम जनता के लिए बंद है। लोकनायक से जुड़े इस संग्रहालय की शुरूआत सपा सरकार में हुई थी, लेकिन मेंटेनेंस के फंड की कमी बताकर इसे नहीं खोला जा रहा है।
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कुल मिलाकार यूपी की अगली-पिछली सरकारों की दांव-पेंच व एलडीए के अफसर-इंजीनियरों की कारस्तानियों के चलते गोमतीनगर स्थित हजारों करोड़ रुपये की कीमत वाली जमीन पर जनता के मेहनत की कमाई के सवा आठ सौ करोड़ रुपये खर्च कराने के बाद भी जेपीएनआइसी दिन प्रतिदिन बदहाली की गर्त की ओर करीब चार सालों से बढ़ता जा रहा है।