आरयू वेब टीम।
बैंकों से कर्ज लेकर देश छोड़कर भागने वाले विजय माल्या ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पांच अप्रैल 2016 को लिखा एक पत्र जारी किया है। माल्या ने काफी समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा है कि वह दुर्भाग्य से जिस विवाद में घिरे हुए हैं उसकी ‘तथ्यात्मक स्थिति’ सामने रखना चाहते हैं।
इस चिट्ठी को जारी करते हुए माल्या ने लिखा है कि वह बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनको बैंक डिफाल्ट का पोस्टर ब्वाय बनाकर जनता के गुस्से का शिकार बना दिया गया है। माल्या का कहना है कि उन्होंने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए पांच अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को पत्र लिखा। बयान के अनुसार, ‘उन्हें किसी से भी प्रत्युत्तर नहीं मिला।
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साथ ही माल्या ने यह भी कहा कि राजनेताओं व मीडिया ने मुझ पर इस तरह आरोप लगाए मानों किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए 9000 करोड़ रुपये का कर्ज मैंने चुरा लिया और भाग गया। कुछ कर्जदाता बैंकों ने भी मुझे जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला करार दिया।’ माल्या ने इस मामले में सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्रों को ‘सरकार व कर्जदाता बैंकों की ओर से आधारहीन व सर्वथा झूठे आरोपों पर की गयी कार्रवाई’ बताया है।
माल्या के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी समूह कंपनियों व उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों की आस्तियां कुर्क कर दीं जिनका मूल्य लगभग 13900 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि मैं बैंक डिफॉल्ट करने वालों का ‘पोस्टर ब्वाय’ बन गया हूं और मेरा नाम आते ही लोगों का गुस्सा भड़क जाता है। माल्या उन्हें ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं।