आरयू वेब टीम। कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) के आज 20 साल पूरे हो गए। इस अवसर पर पूरा देश भारत की रक्षा करने वाले वीरों के धैर्य व शौर्य को नमन कर रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी सहित तमाम नेताओं ने वीरों को याद कर उन्हें नमन किया।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘1999 में कारगिल की पहाड़ियों के पर हमारी सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के प्रति राष्ट्र कृतज्ञता प्रकट करता है। हम उन देश की रक्षा करने वाले वीरों के शौर्य को सलाम करते हैं, जो नायक लौट नहीं सके, उनके हमेशा ऋणी रहेंगे। जय हिंद’।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध की कुछ तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा कि 1999 में मुझे वहां जाने का मौका मिला था। उस वक्त मैं जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पार्टी का काम किया करता था। उस समय कारगिल जाना और वहां सैनिकों के साथ बात करना अविस्मणीय अनुभव है।
वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने वीडियो शेयर कर लिखा- कारगिल विजय दिवस पर मां भारती के सभी वीर सपूतों का मैं हृदय से वंदन करता हूं। यह दिवस हमें अपने सैनिकों के साहस, शौर्य और समर्पण की याद दिलाता है। इस अवसर पर उन पराक्रमी योद्धाओं को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, जय हिंद!
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कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं भारतीय सेना के शौर्य एवं बलिदान को नमन करता हूं। सारा देश उन सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बहादुरी से लड़ते हुए भारत के सम्मान की रक्षा की। उनका अदम्य साहस एवं बलिदान प्रेरणास्पद है।
गृह मंत्री ने ऐसे किया याद
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘करगिल विजय दिवस’ भारतीय सेना के साहस और शौर्य का प्रतीक है। यह हमारे वीर जवानों का पराक्रम ही था जिसने पाकिस्तानी सेना को करगिल की दुर्गम पहाड़ियों से खदेड़ कर युद्ध में विजय प्राप्त की। भारतीय सेना की यह शौर्यगाथा आज भी हर भारतीय को गौरवान्वित करती है। हमारे वीर जवानों को नमन।
जानें कारगिल युद्ध की खास बातें
यहां बताते चलें कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला। 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ। दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ सेना की ओर से की गई कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार सैनिक मारे गए थे, जिसके बाद करगिल युद्ध की जीत की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 14 जुलाई को की थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस की घोषणा की गई थी।