आरयू वेब टीम।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव का मंगलवार की रात फैसला आ गया। मतगणना पूरी होने के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली है। हालांकि कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां अपना मैजिक चलाने में सफल नजर आएं, वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति एक बार फिर कांग्रेस पर भारी पड़ी।
भाजपा इस विधानसभा चुनाव में कर्नाटक की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है। उसे 104 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है। हालांकि वह पूर्ण बहुमत वाले 113 सीटों के आंकड़ें को छूने में नाकाम रही।
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वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो इस बार उसे लगभग पिछले विधानसभा चुनाव जितने ही वोट मिलें हैं, हालांकि विधानसभा सीटों की बात की जाए तो वह पूर्ण बहुमत से कोसों दूर 78 सीटों के आंकड़ों पर ही सिमट गयी।
जबकि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (एस) ने लगभग अपना पिछला प्रदर्शन दोहराते हुए 37 विधानसभा सीटें जीत ली है। वहीं विधानसभा की तीन सीटें अन्य के खाते में भी गयी है। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद जहां कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पद से इस्तीफ दे दिया है।
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वहीं कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने जोड़-तोड़ की राजनीत शुरू कर दी है। बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करने के साथ ही बहुमत साबित करने का समय मांगा है।
मौके की नजाकत और अपनी पिछली गल्तियों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने भी चाल चल दी है। कांग्रेस ने सीधे तौर पर जदएस को समर्थन देने की घोषणा की है। कांग्रेस की हरि झंडी मिलते ही जदएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने राज्यपाल से भेंटकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने अपने समर्थन में कांग्रेस द्वारा भेजा गया पत्र भी पेश किया।
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वहीं इन परिस्थितियों में काफी कुछ राज्यपाल पर निर्भर हो गया है कि वह किसे सरकार बनाने का न्योता देते हैं। यहां आपको बता दें कि स्थापित परंपरा के अनुसार त्रिशंकु विधानसभा वाली स्थिति में राज्यपाल सबसे बड़े दल या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने का न्यौता और सदन में बहुमत साबित करने का मौका देते हैं। हालांकि कांग्रेस और जदएस का पहले से गठबंधन नहीं होने की स्थिति में काफी कुछ राज्यपाल पर निर्भर हो गया है।
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