आरयू वेब टीम।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में आज आम आदमी पार्टी (आप) और उसके सबसे बड़ें नेता अरविंद केजरीवाल को करारा झटका लगा है। लाभ के पद के मामले में दोषी पाए जाने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आज मंजूरी मिलने पर आप के एक झटके में विधानसभा में 20 सदस्य कम हो गए है।
आम आदमी पार्टी ने इसे पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक दबाव में चुनाव आयोग द्वारा लिया गया निर्णय बताया, तो ‘आप’ के बागी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एंड टीम की हरकतों की वजह से आयोग को ऐसा निर्णय लेना पड़ा।
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वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग द्वारा ‘आप’ के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने खुशी जतायी। जबकि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में चुनाव नहीं चाहती। यदि कांग्रेस और भाजपा मिलकर दिल्ली के विकास कार्य को रोकना और जनता पर चुनाव का बोझ डालना चाहती है, तो उनकी पार्टी चुनावों का सामना करने के लिए तैयार है।
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हालांकि यहां बताते चलें कि 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल की सरकार सुरक्षित है। आने वाले दिनों में इन सीटों पर चुनाव हो सकते हैं। चुनाव में यदि ‘आप’ का प्रदर्शन खराब हुआ, तो उसकी सत्ता खतरे में पड़ जाएगी, क्योंकि आम आदमी पार्टी के 20 और विधायकों के खिलाफ शिकायत की गयी है। यदि उनके मामले में भी चुनाव आयोग और राष्ट्रपति ने ऐसा ही फैसला लिया, तो केजरीवाल की कुर्सी बचनी मुश्किल हो जाएगी।
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इन विधायकों को करार दिया गया अयोग्य-
मनोज कुमार,
नितिन त्यागी,
जरनैल सिंह,
शरद कुमार चौहान,
मदन लाल,
शिव चरण गोयल,
सरिता सिंह,
आदर्श शास्त्री,
अलका लांबा,
संजीव झा,
कैलाश गहलोत,
विजेंदर गर्ग,
राजेश ऋषि,
अनिल कुमार बाजपेई,
सोम दत्त,
अवतार सिंह,
सुखबीर सिंह,
प्रवीण कुमार,
नरेश यादव,
राजेश गुप्ता।