आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। भाजपा सरकार के किसान हित की बात करने पर शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जमकर निशाना साधा है। अखिलेश ने न सिर्फ भाजपा को किसान विरोधी बताया बल्कि अपनी सरकार के यूपी में रहने के दौरान किए गए कामों को भी गिनाया है।
सपा अध्यक्ष ने आज कहा कि चुनाव सिर पर आ गए हैं तो मोदी सरकार किसानों का हितैषी होने का दिखावा करने लगी है। किसानों के उत्पादों के लिए घोषित ताजा न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान को कुछ मिलने वाला नहीं है, क्योंकि उसकी नीति किसान पक्षधर न होकर कॉरपोरेट घरानों का भला करने वाली है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना जोड़ने का जो दावा किया है, वह भाजपा की दोषपूर्ण आर्थिक नीति को साबित करता है।
निराशा में आत्महत्या कर रहा किसान
यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि भाजपा राज में किसान की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उसकी जमीन कर्ज में फंसी है, कृषि मंडियों में किसान लुट रहा है, सिंचाई का संकट है। विद्युत आपूर्ति बाधित है, किसान निराशा में आत्महत्या कर रहा है।
मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में माना
आंकड़ों की बात करते हुए अखिलेश यादव ने आगे कहा कि मोदी सरकार भी मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट में मान चुकी है कि उसके कार्यकाल में लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। अभी दो दिन पूर्व ही मध्य प्रदेश के सागर जनपद के किसान ने जान दे दी। जबकि उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दिन पहले किसान ने मात्र 48 हजार रूपए के कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली। बुंदेलखण्ड में भी सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके है।
अब तक क्यों नहीं आया था सरकार को ख्याल
मोदी सरकार का आखिरी साल है, किसानों को लाभ पहुंचाने का ख्याल उसे अब तक क्यों नहीं आया था? सच तो यह है कि 2019 में अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए भाजपा किसानों को बहकाने में लग गई है।
वादा ही रहा कर्जमाफी का वादा
अखिलेश यादव ने दावा किया कि भाजपा का गठन होने के बाद से ही किसान और खेत से कोई वास्ता नहीं रहा है। यूपी में ही गन्ना किसानों का लगभग 12238 करोड़ रूपया चीनी मिलों पर बकाया है। कर्जमाफी का वादा-वादा ही रहा है। जबकि खाद, ट्रैक्टर, कीटनाशक दवाइयों पर भी जीएसटी की मार पड़ रही है।
कर्जमाफी के साथ दी मुफ्त सिंचाई की सुविधा
यूपी की पूर्व सपा सरकार की बड़ाई करते हुए अखिलेश ने कहा कि सपा सरकार ने चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए किसान और गांव को तरजीह दी थी। किसान की उपज को बिचैलियों और आढ़तियों की खरीद के कुचक्र से बाहर किया था। किसान की कर्जमाफी के साथ मुफ्त सिंचाई सुविधा दी थी।
गांव-किसान की भलाई के लिए थी बजट की 75 प्रतिशत राशि
मंडियों को विकसित कर व्यापारियों को लूट से छूट दिलाई थी। किसान मंडी में अपमानित न हो इसकी व्यवस्था की गई थी। फसल बीमा का लाभ किसानों को मिला था। साल 2016-17 को किसान वर्ष घोषित करते हुए बजट में 75 प्रतिशत की राशि गांव-किसान की भलाई के लिए रखी गई थी।
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