आरयू ब्यूरो, लखनऊ। वरुण गांधी ने शुक्रवार को बिना पूरी जांच के अमेठी में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने पर चिंता जताई है। भाजपा सांसद ने योगी सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए लिखा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक महिला की मौत की जांच के बाद सोमवार को अमेठी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था और उसकी ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं पर रोक लगा दी थी। दरअसल कांग्रेस नेता सोनिया गांधी संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट नई दिल्ली की अध्यक्ष हैं जो अमेठी अस्पताल चलाती है, जबकि पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ट्रस्ट के सदस्य हैं। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि महिला की मौत के बाद यह कदम उठाया गया है।
वरुण गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “गहन जांच के बिना अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस का त्वरित निलंबन उन सभी व्यक्तियों के साथ अन्याय है जो न केवल प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नहीं बल्कि अपनी आजीविका के लिए भी संस्थान पर निर्भर हैं। जहां जवाबदेही महत्वपूर्ण है, वहीं यह जरूरी है कि निष्पक्षता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए।”
वरुण गांधी ने पाठक को लिखे अपने पत्र में लिखा, “मैं यह पत्र आपको हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के परिचालन लाइसेंस के निलंबन के संबंध में गहरी चिंता के साथ लिख रहा हूं। इस अस्पताल का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में किया था। यह कई दशकों तक अमेठी और इसके पड़ोसी जिलों में लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सहायता के एक दृढ़ स्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। यह संस्थान वर्षों से कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, सामान्य सर्जरी और स्त्री रोग सहित विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक और बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इसके लाइसेंस को निलंबित करने के निर्णय का क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, रोजगार और शिक्षा पर दूरगामी असर पड़ेगा।
नागरिकों की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ेगा
साथ ही कहा कि इस बात पर जोर देना जरूरी है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सैकड़ों लोग संजय गांधी अस्पताल पर निर्भर हैं। अमेठी और इसके आस-पास के जिलों से यहां हर दिन सैकड़ों लोग परामर्श, निदान और उपचार के लिए आते हैं। अस्पताल के लाइसेंस निलंबन से क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण शून्य पैदा हो जाएगा, जिसका हमारे नागरिकों की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
स्वास्थ्य सेवा खतरे में पड़ गई
वरुण ने आगे कहा कि अपनी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के साथ यह अस्पताल एक महत्वपूर्ण नियोक्ता के रूप में भी कार्य करता रहा है। इस संस्थान से करीब 450 समर्पित कर्मचारियों के साथ हजारों अन्य लोग जुड़े हैं। इन सबकी आजीविका इस संस्थान के निरंतर संचालन पर निर्भर करती है। संस्थान के लाइसेंस निलंबन से न केवल स्वास्थ्य सेवा खतरे में पड़ गई है, बल्कि इससे जुड़े लोगों और उनके परिवारों के जीवन और आजीविका पर भी संकट आ गया है।
एकतरफा निलंबित करना चिंता पैदा करता
इसके अलावा ये अस्पताल सालाना 600 नर्सिंग और 200 पैरामेडिक छात्रों को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा में सराहनीय भूमिका निभाता है।”वरुण ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए आगे लिखा, “स्पष्टीकरण का कोई अवसर दिए बिना अस्पताल के लाइसेंस को एकतरफा निलंबित करना चिंता पैदा करता है, क्योंकि यह निर्णय स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, आजीविका और शैक्षिक निरंतरता को प्रभावित करता है।
एक विस्तृत मूल कारण
कथित चिकित्सीय लापरवाही से जुड़ी हालिया घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इस मामले को आनुपातिकता और निष्पक्षता की भावना से देखना आवश्यक है। व्यापक और निष्पक्ष जांच की अनुमति दिए बिना पूरे अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और संभावित अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है। एक विस्तृत मूल कारण विश्लेषण (आरसीए) के साथ उसके निष्कर्षो को किसी अन्य दूसरी घटना को रोकने के लिए पूरे अस्पताल पर लागू करना अनुचित होगा।”
निष्पक्ष जांच शुरू करने
निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए भाजपा सांसद ने आगे लिखा, “मैं आपसे निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार करने, निष्पक्ष जांच शुरू करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं ताकि यह अस्पताल नौकरियों और शैक्षिक अवसरों की सुरक्षा के साथ समाज के लोगों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना जारी रख सके।”
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बता दें कि, अमेठी संसदीय क्षेत्र कई दशकों से गांधी परिवार का गढ़ रहा है। वरुण गांधी के पिता संजय गांधी भी यहां से सांसद रह चुके हैं। राजीव गांधी और राहुल गांधी भी अमेठी से कई बार सांसद रह चुके हैं। लेकिन 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को चुनाव हरा दिया था।