लोकपाल के लिए अन्‍ना हजारे ने शुरू किया अनशन, कहा झूठ बोल रही भाजपा सरकार

लोकपाल
अनशन पर बैठे अन्‍ना हजारे साथ में अन्‍य। फोटो साभार

आरयू वेब टीम। 

लोकपाल कानून के मुद्दे को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे बुधवार से एक बार फिर अनशन पर बैठ गए हैं। अन्‍ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्धि में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अनशन पर बैठ हैं। इस बीच उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरिश महाजन को रालेगण सिद्धि आने से मना कर दिया है। अन्ना ने कहा कि भाजपा सरकार चाहे राज्य में हो या केंद्र में, वे बड़ी बातें और झूठे वादे कर रही है।

कानून लागू होने तक चलेगा अनशन

वही उन्‍होंने ये भी कहा कि इस बार यह अनशन तब तक चलेगा, जब तक बीजेपी सरकार लोकपाल की नियुक्‍ती और स्वामीनाथन कमीशन के सुझाव को लागू नहीं करती। साथ ही अन्ना के मुताबिक गिरिश महाजन ही वह मंत्री हैं जो पिछले साल 23 मार्च को दिल्ली में मेरा अनशन तुड़वाने आए थे, नौ महीने हो गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

यह भी पढ़ें- अन्‍ना हजारे ने लोकपाल पर मोदी से कहा, आपने त्‍याग दिया जनता से किया वादा

अन्‍ना हजारे ने मोदी सरकार पर हमला जारी रखते हुए लोकपाल कानून को लागू न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिखित आश्‍वासन भी दिया, लेकिन पालन नहीं हुआ, सिर्फ आंकड़ों पर क्या होगा। उन्‍होंने कहा कि लोकपाल कानून बने पांच साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने इस पर सिर्फ बहानेबाजी की है।

समाज और देश की भलाई के लिए कर रहा हूं आंदोलन 

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के दिल में होता तो वह लोकपाल को जरूर लागू करते। साथ ही अन्ना ने यह भी स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष या पार्टी के विरोध में नहीं है। समाज और देश की भलाई के लिए मैं ये आंदोलन कर रहा हूं।

यह भी पढ़ें- न्‍याय संगत नहीं है, लोकपाल कानून को लटकाकर रखना: सुप्रीम कोर्ट

यहां बताते चलें कि इससे पहले भी अन्ना हजारे कई बार आंदोलन कर चुके हैं। अन्ना की मांग है कि केंद्र सरकार लोकपाल कानून लागू करे, साथ ही महाराष्ट्र सरकार लोकायुक्‍त को लागू करे। अन्ना हजारे इससे पहले भी कई बार बयान दे चुके हैं कि लोकपाल को लेकर उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थीं, लेकिन एक भी चिट्ठी का पीएम ने जवाब नहीं दिया।

इससे पहले 2011-12 में अन्ना हजारे की अगुवाई में ही दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन में शामिल रहे कई चेहरे अब देश की राजनीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

यह भी पढ़ें- सरकार ने मानी मांगें, सातवें दिन अन्ना ने तोड़ा अनशन