आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी में इन दिनों मंदिर और मस्जिद को लेकर राजनीति गर्म है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बद्रीनाथ और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी मस्जिद पर दिए बयान लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इसी बीच मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है। मायावती ने सपा और भाजपा दोनों ही पार्टियों को निशाने पर लिया है। साथ ही कहा कि ये बयान कहीं इन दोनों पार्टियों की सोची-समझी राजनीतिक साजिश का परिणाम है।
मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्यम से ट्वीट कर कहा कि सपा द्वारा बौद्ध मठ को तोड़कर बद्रीनाथ मंदिर बनाने संबंधी बयान के बाद अब भाजपा का ज्ञानवापी प्रकरण पर बयान आया है। कोर्ट में लंबित ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर विवाद को बढ़ाने वाला ये बयान कहीं इन दोनों पार्टियों की सोची-समझी राजनीतिक साजिश का परिणाम तो नहीं। मायावती ने कहा कि ज्ञानवापी मामला अब कोर्ट में लंबित हैं ऐसे में राजनीति बयान देना सही नहीं है।
कोर्ट के फैसले का सम्मान व इंतजार जरूरी
वहीं अपने एक अन्य ट्वीट में मायावती ने कहा कि दोनों ही पार्टियों द्वारा दिया गया बयान गंभीर व चिंतनीय है,जबकि ज्ञानवापी मामले में एएसआई से सर्वे कराने के विवाद को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट में अभी लंबित है। ऐसे में इस विवाद के संबंध में कोई भी टीका टिप्पणी करना अनावश्यक ही नहीं बल्कि अनुचित है। कोर्ट के फैसले का सम्मान व इंतजार करना जरूरी है।
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बता दें कि सोमवार को इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान सामने आया था। जिसमें योगी ने कहा था कि सर्वे के दौरान प्राचीन हिंदू मंदिरों की जो कलाकृतियां यहां से मिली हैं, उन्हें नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सीएम योगी ने साफ कहा कि इसे ज्ञानवापी मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा।
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इससे पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तराखंड के धार्मिक स्थल बदरीनाथ धाम को लेकर कहा कि बद्रीनाथ 8वीं सदी तक बौद्ध धर्म स्थल था और बौद्ध धार्मिक स्थल खत्म करके बद्रीनाथ मंदिर बनाया गया है।