ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा, बद्रीनाथ भी था पहले बौद्ध मठ, अमन-चैन के लिए बहाल रखी जाए 1947 की यथास्थिति

जान से मारने की धमकी

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने बयानों को लेकर चर्चा रहने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने फिर एक बयान से सुर्खियों में आ गए है। स्वामी प्रसाद का ये बयान ज्ञानवापी में एएसआइ के सर्वे को लेकर है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि अब इन्हें आस्था याद आ रही है, क्या दूसरों की आस्था, आस्था नहीं है। साथ ही सपा नेता ने दावा किया कि अधिकतर हिन्दू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। यहां तक कि बद्रीनाथ मंदिर को लेकर भी ऐसा ही दावा कर दिया।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से ट्वीट कर कहा कि, “आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुंचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है।

अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है।” इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब भाई-भाई है। उन्होंने दावा किया कि इसीलिए आज़ादी वाले दिन इसलिए 15 अगस्त, 1947 की यथास्थिति को भी बहाल रखा जाए, तभी जाकर अमन चैन बना रहेगा।

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सपा नेता ने पूछा कि एएसआइ इन सबकी जांच क्यों नहीं कर सकता है? साथ ही सवाल दागा कि अगर मस्जिद से पहले वहां मंदिर था तो मंदिर से पहले वहां क्या था? उन्होंने पूछा कि एएसआइ इन सबकी जांच क्यों नहीं कर सकता है? एएसआई को इसकी भी जांच करनी चाहिए।

स्वामी प्रसाद मौर्या ने दावा किया कि शंकराचार्य ने बौद्ध मठ को मंदिर बना दिया था। इससे पहले मई 2023 में उन्होंने दावा किया था कि ‘साधु के वेश में आतंकी’ जब उनकी हत्या की बात कर रहे थे, तब योगी सरकार कानून व्यवस्था की दुहाई देते हुए शांत बैठी हुई थी।

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