मूर्ति प्रकरण पर मायावती ने जताई नाराजगी, मीडिया और भाजपा के लोग कटी पतंग न बनें तो बेहतर

मायावती
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई उस टिप्‍पणी पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया है कि मायावती सरकार में पार्कों में बनी उनकी व उनके चुनाव चिंह हाथियों की मूर्तियों में खर्च किए गए पैसे को लौटाना चाहिए। जिस पर मायावती ने कहा कि वह इस मामले में अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से रखेंगी। साथ ही इस दौरान वह भाजपा पर हमला करने से नहीं चूंकी।

बसपा सुप्रीमो ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर जहां बीजेपी पर हमला बोलने के साथ ही मीडिया को नसीहत देते हुए लिखा- ‘मीडिया कृप्या करके सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे। न्यायालय में अपना पक्ष जरूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जाएगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है।

यह भी पढ़ें- मायावती को सुप्रीम कोर्ट का झटका, लौटाना पड़ सकता है मूतिर्यों पर खर्च जनता का पैसा

इससे पहले आज मायावती ने अपने एक अन्‍य ट्वीट में कहा कि ‘सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल/स्मारक/ पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है।’

बता दें कि एक याचिका पर मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हमारा विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए। मायावती की ओर से सतीश मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें। अब इस मामले में दो अप्रैल को सुनवाई होगी।

मालूम हो कि शुक्रवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए रखा गया तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा मायावती पूरा धन वापस कीजिए। हमारा नजरिया है कि मायावती को खर्च किया गया पूरा धन वापस लौटाना चाहिए। हालांकि, पीठ ने इसे अपनी राय कहा, पीठ ने कहा कि उसने शुरुआती नजरिया इसलिए व्यक्त किया, क्योंकि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्‍त लगेगा।

यह भी पढ़ें- योगी सरकार के बजट पर मायावती का तंज, केवल संगम स्नान से नहीं धुल सकते सरकारों के पाप