आरयू वेब टीम।
लोकसभा चुनाव से पहले बसपा प्रमुख मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि मायावती ने अपनी और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां बनाने में जनता का जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे सरकारी खजाने में वापस करें।
2009 में रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर आज सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए। साथ ही चीफ जस्टिस रंजन ने मायावती के वकील से कहा कि अपने क्लाइंट को कह दीजिए कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराने के लिए तैयार रहें। हालांकि अभी इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महज टिप्पणी की है। मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को की जाएगी, जिसके बाद ही स्थिति पूरी तरह से साफ होगी।
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यहां बताते चलें कि बसपा के शासनकाल में मायवती द्वारा लखनऊ, नोएडा समेत अन्य शहरों में कई पार्कों का निर्माण करवाया गया। इन पार्कों में बसपा संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे की जानकारी मांगी थी।
वहीं उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिरकरण के रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर चुनाव चिन्ह हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थी। इसमें 685 करोड़ का खर्च आया था। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन पार्कों और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे।