आरयू ब्यूरो,लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में ओबीसी व एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने विधानसभा का घेराव किया। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद विधानसभा तक पहुंचे अभ्यर्थियों ने अलग-अलग टुकड़ियों में प्रदर्शन किया। पुलिस ने एक ग्रुप को पकड़ा तो दूसरा सामने आकर प्रदर्शन करने लगा। इस वजह से पुलिस को काफी संघर्ष करना पड़ा। जिसके बाद पुलिस ने अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया और वाहन में भरकर ले गई। हालांकि अभ्यर्थियों ने आज के विरोध प्रदर्शन पहले ही प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी थी। पुलिस के पहुंचने पर अभ्यर्थी विधानसभा के सामने सड़क पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान अभ्यर्थी योगी सरकार से आरक्षण में हुए घोटाले की जांच और अपना हक मांग रहे हैं, जैसे नारे लगाते रहे। इसके साथ ही आज अभ्यर्थियों ने इको गार्डेन के बाहर भी सड़क पर प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बलपूर्वक सड़क से हटाया।
अभ्यर्थियों का कहना है, कि 22,000 पद 69,000 में जोड़ा जाए और उन्हें भी नियुक्ति दी जाए। ये अभ्यर्थी आरक्षण में बड़े घोटाले करने की बात कहते हुए पांच महीनों से इको गार्डन में आंदोलन कर रहे हैं।
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अभ्यर्थियों की मांग है, कि अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 के नीचे 27 फीसदी आरक्षण दिया जाए। ओबीसी वर्ग को इस भर्ती में 18,598 में से सिर्फ 2,637 सीट मिली है। इससे ओबीसी वर्ग को इस भर्ती में 27 प्रतिशत की जगह सिर्फ 3.86 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिला है।
वहीं, एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में 21 प्रतिशत की जगह उन्हें सिर्फ 16.6 प्रतिशत आरक्षण मिला है। जिसके विरोध में ये विगत पांच महीने से लखनऊ के इको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौरतलब है, कि योगी सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले थे। यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस भर्ती पर ओबीसी और एससी कैटेगरी के छात्रों का आरोप है कि भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है। एससी छात्रों को 21 फीसदी, जबकि ओबीसी छात्रों को 27 फीसद आरक्षण मिलता है। ओबीसी छात्रों का आरोप है कि इस भर्ती में उन्हें सिर्फ चार प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उनका यह भी आरोप है, कि उनकी जगह आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई।
वहीं, राज्य पिछड़ा आयोग ने भी इसमें गड़बड़ी की बात मानी है। करीब 20,000 सीटों पर आरक्षण घोटाले का इनका आरोप है। ये उसी में भर्ती की मांग कर रहे हैं। वहीं, योगी सरकार किसी भी तरह के आरक्षण घोटाले से इनकार करती रही है। बावजूद उसके ये अभ्यर्थी पिछले पांच महीनों से आंदोलन कर रहे हैं।