आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कोरोना वायरस से संक्रमण फैलने को खतरे को देखते हुए राजधानी लखनऊ में इस बार मोहर्रम के जुलूस, मजलिस पर प्रतिबंध रहेगा। साथ ही गणेश चतुर्थी के अवसर पर किसी भी पूजा पंडाल में मूर्ति स्थापित करने या शोभा यात्रा निकालने की अनुमति भी नही होगी।
बुधवार को इस बात की जानकारी देते हुए लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त, कानून एवं व्यवस्था नवीन अरोरा ने बताया कि धारा 144 के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जन-जीवन एवं निजी संपत्ति की हानि, दंगा, बलवा के निवारण के उद्देश्य से प्रतिबंधात्मक आदेश पारित किये गए हैं।
नवीन अरोरा ने बताया कि 21 अगस्त से शुरू हो रहे मोहर्रम एवं वर्तमान में कोविड-19 (कोरोना वायरस) के दृष्टिगत जारी गाइडलाइन के अनुसार मोहर्रम के अवसर पर किसी भी प्रकार के जुलूस/धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी गयी है, जिससे असामाजिक तत्वों द्वारा व्यवस्था भंग करने तथा समाज में कटुता बढ़ने व लोक प्रशांत विक्षुब्ध होने की प्रबल आशंका है। वर्तमान में जारी गाइडलाइन का अनुपालन कराने के लिए शांति-सुरक्षा एवं कानून-व्यवस्था बनाये रखना बहुत जरूरी है।
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नवीन अरोरा ने आज मीडिया से कहा कि आगामी दिनों में प्रस्तावित गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत जारी की गई गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए धारा 144 के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग कर कानून-व्यवस्था बनाए रखने शांति व्यवस्था को कायम रखने, सार्वजनिक एवं निजी व लोक संपत्ति के सुरक्षार्थ और जनता में कोविड-19 के संक्रमण के प्रसारण को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश पारित किया है।
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जेसीपी ने बताया कि ऐसे सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम, जुलूस, रैली, प्रदर्शन, व्यापारी प्रदर्शनी इत्यादि सशर्त प्रतिबंधित रहेंगे, किसी भी ऐसे कार्यक्रम में पांच से अधिक व्यक्तियों का सम्मेलन संभव नहीं होगा। आगामी मोहर्रम पर परंपरागत जुलूस, ताजिये, मजलिसें, जलसे, शबीलें आयोजित नही की जायेंगी।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भी किसी भी पूजा पंडाल में मूर्ति स्थापना करने या शोभा यात्राएं निकालने की अनुमति नही होगी। आगामी त्योहारों पर परंपरागत जुलूस या कार्यक्रम बिना पुलिस के अनुमति के आयोजित नहीं किए जाएंगे न ही किसी प्रकार की नई परंपरा स्थापित होगी किसी भी राजनीतिक दल द्वारा सार्वजनिक स्थलों या महत्वपूर्ण स्थानों पर धरना-प्रदर्शन सामूहिक प्रदर्शन नहीं किए जाएंगे।
रात दस बजे से सुबह छह बजे तक कोई…
नवीन अरोरा के अनुसार किसी धार्मिक स्थल, सार्वजनिक स्थल, जुलूस व अन्य आयोजनों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि की तीव्रता के संबंध में ध्वनि-प्रदूषण (विनिमय और नियंत्रण), नियम-2000 यथा संशोधित के प्राविधानों का अनुपालन आवश्यक होगा। रात दस बजे से सुबह छह बजे तक कोई भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग नही किया जायेगा। साथ सुप्रीम कोर्ट के ध्वनि के संबंध में दिये गये दिशा निर्देशों का अनुपालन करना आवश्यक होगा। अपरिहार्य स्थिति में अनुमति पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) से लेनी होगी।
इस संबंध में आकस्मिक परिस्थितियों में बिना सक्षम अधिकारी के पूर्वानुमति प्राप्त किए आवागमन न किया जाए। कोविड-19 दृष्टिगत जनपद में चिन्हित हॉट स्पॉट क्षेत्रों में कोई भी धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक या सार्वजनिक कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा और न ही ऐसा कोई आयोजन इस क्षेत्र से गुजरेगा ऐसा करने पर वह महामारी अधिनियम डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, लागू टाउन व धारा 144 सीआरपीसी के उल्लघंन का दोषी माना जाएगा।
धार्मिक स्थानों व दीवारों पर किसी प्रकार के धार्मिक झंडे, बैनर, पोस्टर…
उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति दूसरे के धर्म ग्रंथों का अपमान नही करेगा। धार्मिक स्थानों व दीवारों पर किसी प्रकार के धार्मिक झंडे, बैनर, पोस्टर आदि नहीं लगायेगा, न ही किसी को इस काम में सहयोग प्रदान करेगा। इसके अलावा किसी भी समुदाय का व्यक्ति दूसरे समुदाय की भावनाओं के विपरीत ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नही करेगा, जिससे शांति भंग होने की आशंका हो और न ही दूसरे समुदाय के धार्मिक भावनाओं के विरूद्ध किसी प्रकार का उत्तेजनात्मक भाषण दिया जायेगा और न ही ऐसे किसी कार्यक्रम की घोषणा की जायेगी।
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इसके अलावा लखनऊ कमिश्नरेट क्षेत्र की सीमा के अंदर कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई अनुचित मुद्रण/प्रकाशन जिससे साम्प्रदायिक तनाव अथवा समुदायों के बीच वैमनस्य उत्पन्न हो, नही करेगा, विवाह एवं दाह संस्कार के दौरान शासन द्वारा निर्धारित संख्या में नियमानुसार अनुमति प्राप्त कर लोग एकत्रित हो सकेगें तथा इस दौरान आपसी दूरी के मानकों का पालन करना होगा।
छूट के लिए करना होगा आवेदन
साथ ही जेसीपी ने कहा कि यह आदेश तत्काल पारित किए जाने की आवश्यकता है तथा समय अभाव के कारण यह एक पक्षीय रूप से पारित किया जा रहा। हालांकि इसके बाद भी अगर कोई भी व्यक्ति संस्था या पक्ष इस आदेश में कोई छूट या शिथिलता चाहे तो उसे पुलिस आयुक्त, कमीशनरेट लखनऊ या संयुक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्तों के सम्मुख विधिवत आवेदन करने का अधिकार होगा। आवेदन पर सुनवाई व विचार के बाद समुचित आदेश पारित किए जाएंगे।
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यह आदेश तत्काल प्रभावी होगा और यदि बीच में वापस न लिया गया तो अगामी 15 सितंबर तक लागू रहेगा। इस आदेश या इस आदेश के किसी अंश का उल्लंघन करना भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।