आरयू संवाददाता, पीजीआइ। राजधानी लखनऊ में अफसरों की लापरवाही और मिलीभगत के चलते प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के गंभीर मामले अब आम होते जा रहें हैं। ऐसा ही एक मामला मंगलवार को पीजीआइ इलाके के राजधानी अस्पताल में देखने को मिला। जहां निमोनिया की शिकायत पर भर्ती मरीज के परिजनों से 12 घंटें में 80 हजार वसूलने के बाद मौत होने पर मरीज को जिंदा बताकर ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया।
रास्ते में ही प्राइवेट अस्पताल की कारस्तानी का पता चलते ही भड़के परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पीजीआइ पुलिस ने आक्रोशित परिजनों को न्याय का भरोसा दिलाने के साथ ही शांत कराते हुए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। वहीं मृतक की बेटी ने पीजीआइ पुलिस को तहरीर देते हुए अस्पताल के प्रबंधक पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
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बताया जा रहा है कि गोसाईंगंज के सेंगरा गांव निवासी पेशे से किसान रामकृष्ण रावत (52) को निमोनिया की शिकायत होने पर सोमवार की रात करीब 12 बजे परिजनों ने पीजीआइ इलाके में स्थित राजधानी अस्पताल में भर्ती कराया था। रामकृष्ण की बेटी संजना रावत का आरोप था कि पिता के भर्ती होने के बाद डॉक्टर व अस्पताल के प्रबंधक सीपी दूबे ने सुबह तक उन लोगों से 65 हजार रुपए जमा करा लिए और रात में इलाज भी ढंग से नहीं किया। आज सुबह सीपी दूबे ने उनके भाई को बुलाकर कर कहा कि पिता की हालत ज्यादा खराब है, इन्हें ट्रामा सेंटर के लिए रेफर करना पड़ेगा 15 हजार रुपए और जमा कर दो।
पैसा जमा करने के बाद उन लोगों को शक हुआ कि डॉक्टर इलाज की जगह सिर्फ धन उगाही में लगें हैं, तो परिजनों ने रामकृष्ण को देखना चाहा, आरोप है कि परिजनों को मरीज दिखाने की जगह अस्पताल प्रबंधन ने न सिर्फ असलहाधारी सुरक्षाकर्मियों से उन लोगों को धक्का देकर अस्पताल के बाहर निकलवाया, बल्कि एंबुलेंस में जबरदस्ती रामकृष्ण के शव को जिंदा बताते हुए ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया।
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रास्तें में परिजनों ने किसी तरह से एंबुलेंस रोककर देखा तो अंदर रामकृष्ण की लाश थी। जिसके बाद आक्रोशित होकर वापस अस्पताल पहुंचे घरवालों व उनके साथियों ने हंगामा करने के साथ ही घटना की जानकारी पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत कराते हुए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
कल्प हॉस्पिटल से भेजा गया था मरीज
मृतक के बेटे राधेश्याम रावत ने बताया कि पिता की तबियत खराब होने पर रविवार को इलाज के लिए गोसाईंगंज तहसील सुल्तानपुर रोड के पास स्थित कल्प अस्पताल में परिजन उन्हें ले गए थे। जहां एक दिन भर्ती करने व 12 हजार रुपये की बिल बनाने के बाद कल्प अस्पताल के डॉक्टर ने उन्हें राजधानी अस्पताल ले जाने को कहा था।
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वहीं इस पूरे मामले में सफाई देते हुए राजधानी अस्पताल के प्रबंधक सीपी दूबे ने मृतक के परिजनों के आरोपों को ही गलत बताया। उनका कहना था कि रामकृष्ण को लीवर की बीमारी थी, जिनके इलाज के दौरान परिजनों ने कुल 11 हजार रुपये जमा किए थे। इलाज में भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी है।
मौके पर पहुंचें इंस्पेक्टर पीजीआइ अशोक कुमर ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पीएम रिपोर्ट आने पर मौत के वास्तविक कारणों का पता चल जाएगा। साथ ही मृतक की बेटी की तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई करते हुए मामले की जांच की जा रही है।