आरयू वेब टीम। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के मुद्दे पर विचार करने लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समिति गठित करेंगे जो निश्चित समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके अलावा बैठक में भारत की आजादी के 75 साल, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जैसे मुद्दों पर बात चर्चा हुई।
सर्वदलीय बैठक के बाद आज राजनाथ सिंह ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “एक देश, एक चुनाव” के मसले पर एक समिति का गठन होगा, जो इसे लेकर अपनी राय देगी। उन्होंने बताया कि हमने 40 पार्टियों को आमंत्रित किया था। इसमें 21 पार्टियों के अध्यक्षों ने हिस्सा लिया और तीन पार्टियों ने अपना मत लिखित में भेजा।
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उन्होंने कहा कि ज्यादातर पार्टियों ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन किया। सीपीआइ(एम) और सीपीआइ के अलग विचार थे, लेकिन उन्होंने इस विचार का विरोध नहीं किया, बल्कि इसे लागू करने को लेकर विरोध जताया। बैठक के बाद सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि एक देश-एक चुनाव देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा है और यह लोकतंत्र विरोधी है।
वहीं देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी. एस. कृष्णमूर्ति ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार बहुत ही आकर्षक है, लेकिन विधायिकाओं का कार्यकाल निर्धारित करने के लिए संविधान में संशोधन किए बगैर इसे अमल में नहीं लाया जा सकता है।
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वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे कृष्णमूर्ति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव ड्यूटी के लिए बड़ी तादाद में अर्द्धसैनिक बलों की क्षमता में बढ़ोतरी करने सहित बहुत सारे प्रशासनिक इंतजाम करने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन यह संभव है। उन्होंने कहा कि इस विचार के कई लाभ हैं, लेकिन इसको लागू करने में सबसे बड़ी रुकावट अविश्वास प्रस्ताव और संबंधित मुद्दों से जुड़े संवैधानिक प्रावधान हैं।
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘इसके लिए एकमात्र रास्ता (संविधान) संशोधन है, जिसके तहत विश्वास प्रस्ताव तभी प्रभावी होगा जब कोई और व्यक्ति नेता चुना गया हो, नहीं तो पिछली सरकार चलती रहेगी। जब तक आप सदन के लिए कार्यकाल निर्धारित नहीं करेंगे, यह संभव नहीं है।