आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी खुद एवं खण्ड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों का नियमित निरीक्षण कराएं। साथ ही अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और स्कूल से गायब रहना बिल्कुल भी बरदाश्त नहीं किया जाएगा।
ये निर्देश बुधवार को अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने योजना भवन में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए जनपदीय अधिकारियों को दिए। लगातार शिकायतें मिलने के बाद आज उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि अगले तीन दिनों में भ्रष्टाचार में लिप्त या स्कूल न जाने वाले अध्यापक, अधिकारी, शिक्षामित्र और प्रधानाध्यपकों की सूची तैयार करने के साथ ही लिस्ट में ये भी लिखें कि कितने ऐसे लोगों का अनुपस्थिति के कारण वेतन काटा गया है।
बैठक के दौरान डॉ. प्रभात ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी बिना मान्यता के चल रहें स्कूलों को तत्काल बन्द करायें। प्रदेश में कोई भी स्कूल बिना मान्यता के संचालित नहीं होना चाहिए।
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इसके साथ ही अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने निर्देश देते हुए कहा कि नवनियुक्त शिक्षकों के सत्यापन संबंधी सभी आवश्यक कार्रवाई तत्परता के साथ कराकर उनके वेतन भुगतान की कार्रवाई जितनी जल्दी हो सके पूरी कर ली जाए, जबकि विद्यालयों में दिया जाने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता एवं साफ सफाई का पूरा ध्यान रखने के साथ ही भोजन वितरण की सही रिपोर्टिंग की जाय। खाना खाने वाले विद्यार्थियों का हस्ताक्षर लिया जाय और जो विद्यार्थी हस्ताक्षर नहीं कर सकता, उसको एक संकेतक बताया जाय जिसके माध्यम से उसकी उपस्थिति दर्ज हो सके।
वहीं आज एक और जरूरी निर्देश देते हुए प्रभात कुमार ने कहा कि नवीन पेंशन के लिए सभी शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रान नंबर बनवाकर उनकी कटौती की जानी सुनिश्चित किया जाय।
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इसके अलावा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जिन विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन, जूता-मोजा और बैग इत्यादि संबंधी भुगतान बकाया हैं, उन्हें यथाशीघ्र भुगतान कराया जाना सुनिश्चित किया जाय। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में जहां भी बिस्तर की जरूरत हो, उसे पूरा कर लिया जाए जिससे कि बालिकाओं को साफ बिस्तर मिल सके।
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वहीं शैक्षिक सत्र 2019-20 में ‘आउट आफ स्कूल बच्चों’ के चिन्हा्कन, पंजीकरण एवं नामांकन के लिए कार्यक्रम शारदा (एसएचएआरडीए-हर दिन स्कूल आयें) पर चर्चा की गयी। प्रत्येक जनपद में नामांकन का लक्ष्य साल 2018-19 के सापेक्ष 15 प्रतिशत बढ़ाते हुए निर्धारित किया गया है।