आरयू वेब टीम। कृषि सुधार कानूनों को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में पहली बार किसी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने की चिंता की है और इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही। मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विमोचन करने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन कहा है कि उनकी सरकार किसानों को अन्नदाता की भूमिका से आगे ले जाकर ‘‘उद्यमी’’ बनाने का प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर उन्होंने ‘प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी’ का नाम बदलकर लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी भी रखा। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।
वहीं प्रधानमंत्री ने कृषि व सहकारिता के क्षेत्र में बालासाहेब विखे पाटिल के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि गांव, गरीब, किसान का जीवन आसान बनाना, उनके दुख, उनकी तकलीफ कम करना, विखे पाटिल के जीवन का मूलमंत्र रहा। मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का प्रयास किया। हमेशा इसी बात पर बल दिया कि राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम कैसे बनाया जाए, गांव और गरीब की समस्याओं का समाधान कैसे हो।’’
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वहीं पिछली सरकारों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद एक ऐसा भी दौर आया जब देश के पास पेट भरने को भी पर्याप्त अन्न नहीं था और उस दौर में सरकारों का पूरा जोर उत्पादन बढ़ाने पर रहा। उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादकता की चिंता में सरकारों का ध्यान किसानों के फायदे की ओर गया ही नहीं। उसकी आमदनी लोग भूल ही गए, लेकिन पहली बार इस सोच को बदला गया है। देश ने पहली बार किसान की आय की चिंता की है और उसकी आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किया।
उल्लेखनीय है कि विखे पाटिल कई बार लोकसभा के सदस्य रहे और साल 2016 में 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।