आरयू वेब टीम।
तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला ‘तीन तलाक विधेयक’ सोमवार को भी राज्यसभा में पेश नहीं हो सका। विपक्ष की ओर से हंगामा थमते न देख उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को दो जनवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
बता दें कि लोकसभा में पास होने के बाद मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018 यानी तीन तलाक बिल की असली परीक्षा राज्यसभा में है। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें- लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने किया वॉकआउट
राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए था फिर इसे सेलेक्ट कमेटी के पास जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोकसभा से यह बिल पारित करा लिया, लेकिन अब हमने प्रस्ताव देकर मांग की है कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के प्रस्ताव पर चर्चा किए बगैर इस बिल पर चर्चा मुमकिन नहीं है। वहीं राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की ओर से सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया है। मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने पहले इस बिल का विरोध नहीं किया था, लेकिन हम कांग्रेस मुस्लिम महिलाओं के न्याय से जुड़े इस बिल को रोकने का काम कर रही है।
यह भी पढ़ें- तीन तलाक पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अध्यादेश को दी कैबिनेट ने मंजूरी
लोकसभा में सरकार के पास बहुमत होने के चलते यह विधेयक 245 मतों से पास हो गया, जबकि 11 वोट विपक्ष में पड़े थे। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस, एआईएडीएमके, समाजवादी पार्टी और डीएमके ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करते हुए वॉक आउट कर दिया था। लिहाजा, राज्यसभा में इस बिल के भविष्य को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई है।
इस बीच रविशंकर प्रसाद ने दावा किया है कि बिल को राज्यसभा में पर्याप्त समर्थन मिलेगा। राज्यसभा में मोदी सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है। इस बिल को पारित कराना सरकार के लिए चुनौती है। इससे पहले दिसंबर 2017 में भी तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पारित हुआ था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था।
यह भी पढ़ें- बजट सत्र में राष्ट्रपति ने कहा मुस्लिम महिलाओं के हक में है तीन तलाक