आरयू ब्यूरो, लखनऊ। फिल्म ‘आदिपुरुष’ को रिलीज के साथ ही विवादों में घिरी हुई है। फिल्म के संवादों को लेकर दर्शकों ने आपत्ति जताई थी। इसके खिलाफ अधिवक्ता कुलदीप तिवारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका भी दर्ज की थी। सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माता-निर्देशक को जबरदस्त तरीके से लताड़ा। कोर्ट ने ये भी कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए
याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी ने इसे लेकर बयान जारी किया है। बयान के मुताबिक, ‘आपत्तिजनक फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर हमारी याचिका पर सुनवाई के दौरान आज माननीय हाई कोर्ट में जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की डिवीजन बेंच ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के मेकर्स को फटकार लगाई है।’ ‘वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट को अपत्तिजनक तथ्यों से अवगत कराया और विरोध दर्ज कराया। सेंसर बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपस्थित हुए थे।
हमारे द्वारा 22 जून को प्रस्तुत अमेंडमेंट एप्लीकेशन को न्यायालय द्वारा स्वीकृत करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का दर्पण होता है, आगे आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है? कोर्ट ने ये भी कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए, बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं।
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कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक सहित अन्य प्रतिवादी पार्टियों की कोर्ट में अनुपस्थिति पर भी कड़ा रुख दिखाया। वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने सेंसर बोर्ड द्वारा अभी तक जवाब न दाखिल किए जाने पर आपत्ति जताई और कोर्ट को फिल्म के आपत्तिजनक तथ्यों से अवगत कराया।
रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी देते हुए दिखाना, आपत्तिजनक संवाद और अन्य सभी तथ्यों को कोर्ट में रखा गया जिस पर कोर्ट ने सहमति जताई। अब मंगलवार, 27 जून को एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई होगी।