आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सूबे की राजधानी समेत देश में चल रहे तमाम संस्थान, योजनाएं व चौराहे आदि का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किए जाने का गुरुवार को राष्ट्रीय लोकदल ने विरोध किया है। साथ ही राष्ट्रीय शोक के दौरान राज्यपालों की नियुक्ति और विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर भी भाजपा सरकार पर हमला बोला है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव शिवकरन सिंह ने आज पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अटल जी पूरे देश के न सिर्फ निर्विवाद बल्कि महान नेता थे, यही वजह है कि उनकी जनता में अभूतपूर्व छवि अंकित है।
छवि धूमिल करने के बराबर होगा पुरानी योजनाओं से अटल जी का नाम जोड़ना
वरिष्ठ नेताओं ने मोदी और योगी सरकार से मांग करते हुए कहा कि जो भी योजनाएं एवं संस्थान आदि जिस नाम से चल रहे हैं, उन्हें उसी नाम से चलने दिया जाय, क्योंकि अटल जी जैसे महान नेता का नाम पुरानी योजनाओं या संस्थानों से जोड़ा जाना उनकी छवि को धूमिल करन के बराबर होगा।
खुद बनाएं अपने पदचिन्ह
प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि अटल जी पूरी जिंदगी में किसी के पदचिन्हों पर नहीं चले बल्कि, उन्होंने खुद अपने पदचिन्ह बनाए हैं। जिन पर चलकर ही देश को नई दिशा मिलने की संभावना है।
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शिवकरन सिंह ने मांग करते पूर्व प्रधानमंत्री की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि का ध्यान रखते हुए प्रदेश के विभिन्न शहरों में अटल जी के नाम से बडे संस्थानों एवं बडे उद्योगों की स्थापना की जाय। जिससे कि उत्तर प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को रोजगार के अवसर के साथ ही प्रदेश को भी एक नई दिशा मिल सके। यही अटल जी के लिए भी सच्ची श्रद्वांजलि होगी।
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राष्ट्रीय शोक के दौरान राज्यपालों की सत्र बुलाना है घोर निंदनीय
वहीं राष्ट्रीय शोक के दौरान राज्यपालों की नियुक्ति के मामले में मोदी सरकार और योगी सरकार को घेरते हुए शिवकरन सिंह ने कहा कि देश में एक सप्ताह के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित करके विभिन्न प्रदेशों के राज्यपालों की नियुक्ति करना और यूपी में विधान सभा सत्र का बुलाया जाना घोर निंदनीय है। ऐसा करके मोदी और योगी सरकार ने अटल जी की आत्मा को व्यथित करने का कृत्य किया है, जिसको जनता कभी माफ नहीं करेगी।
खाने के दांत कुछ और
वहीं प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि अगर इन्हीं राज्यपालों की नियुक्ति एक सप्ताह बाद और विधान सभा सत्र दो दिन बाद बुला लिया जाता तो कुछ भी बिगड़ने की संभावना नहीं थी। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा के दिखाने के दांत अलग और खाने के दांत कुछ और हैं।
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