साल में दूसरी बार लाल किले पर तिरंगा फहरा कर बोले मोदी, एक परिवार को बड़ा बताने के लिए अनेक सपूतों के बलिदान को भुलाने की हुई कोशिश

आजाद हिंद फौज
कार्यक्रम को संबोधित करते पीएम मोदी।

आरयू वेब टीम। 

ये दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों फिर वो चाहे सरदार पटेल हों, बाबा साहब अंबेडकर हों, या फिर नेताजी, राष्ट्र निर्माण में इनके योगदान को भुलाने की कोशिश की गई। उक्‍त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज सरकार के गठन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर कही। इस दौरान पीएम ने परंपरा से इतर रविवार (21 अक्टूबर) को लाल किले पर साल में दूसरी बार तिरंगा फहराया।

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साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि ये उनके लिए सौभाग्य की बात है कि देश के लिए सुभाष बाबू ने जो किया, उसे देश के सामने रखने का, उनके बताए कदमों पर चलने का मौका उन्हें मिल रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि आजादी के बाद अगर देश को सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल जैसी शख्सियतों का नेतृत्व मिला होता तो, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता।

वहीं नेता जी को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सुभाष बाबू ने कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए लिखा था, “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है, इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।

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पीएम ने आगे कहा कि उन्हें खुशी है कि देश अब नेताजी के दिखाये रास्ते पर चल रहा है। भारत का संतुलित विकास, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का मौका, राष्ट्र की प्रगति में उनकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।

मोदी ने यह भी कहा कि आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम की नहीं थी, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं, इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था। बता दें कि 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने देश की पहली स्वतंत्र सरकार का गठन किया था, इस सरकार को इतिहास में आजाद हिंद सरकार कहा जाता है।

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