आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। स्पेशल टॉस्क फोर्स(एसटीएफ) के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। एसटीएफ ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सर्वर में हेराफेरी कर फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह के कानपुर नगर निवासी सरगना सौरभ सिंह व उसके सगे भाई समेत दस सदस्यों को पकड़ा है। गिरोह के अधिकतर सदस्य कम उम्र के होने के साथ ही कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर के एक्सपर्ट भी है।
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आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने आज एसटीएफ मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर इस पूरे मामले और गैंग के काम करने के तरीके पर प्रकाश डाला। आईजी ने बताया कि इस गिरोह के सदस्य यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित बायोमेट्रिक मानकों को बाईपास कर फेक फिंगर प्रिंट के जरिए आधार कार्ड बना रहा था। साथ इस शातिर गिरोह ने रेटिना स्कैन ऑथेंटिकेशन की भी काट निकाल ली थी।
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यह गिरोह लगातार काम कर रहा था तभी इसकी जानकारी लगने पर यूआईडीएआई के डिप्टी डॉयरेक्टर ने लखनऊ के साइबर क्राइम थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। जिसके छानबीन की के लिए एएसपी एसटीएफ त्रिवेणी सिंह और उनकी टीम को लगाया गया था। एसटीएफ की टीम ने सूत्रों और सर्विलांस के माध्यम से गिरोह को धर दबोचा।
एसटीएफ ने इनको किया गिरफ्तार-
कानपुर नगर के बर्रा इलाके की विश्व बैंक कॉलोनी निवासी सरगना सौरभ सिंह उसका भाई शुभम सिंह, उसी कॉलोनी का निवासी शोभित सचान, चकेरी इलाके का सतेन्द्र कुमार, फतेहपुर जिले के जाफरगंज इलाके का निवासी शिवम कुमार जबकि बिंदकी क्षेत्र का मनोज कुमार, मैनपुरी जिले के भोगाव क्षेत्र का तुलसीराम, प्रतापगढ़ जनपद के कंधई इलाके का कुलदीप सिंह, हरदोई जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र निवासी चमन गुप्ता व आजमगढ़ के अहिरौला इलाके का गुड्डू गोंड को एसटीएफ ने इस संगीन अपराध के आरोप में गिरफ्तार कर मीडिया के सामने पेश किया।
एसटीएस के अनुसार आरोपित के पास से ये सामान हुए बरामद-
11 लैपटॉप, कागज पर बनाई गई 38 और केमिकल से बनी 46 नकली फिंगर प्रिन्ट, सिम लगे 12 मोबाइल, दो आधार फिंगर स्कैनर, फिंगर स्कैनर डिवाइस दो, दो रेटिना स्कैनर, रबर स्टैम्प (मोहर) आठ, आधार कार्ड 18, एक वेब कैम, एक जीपीएस एक्युपमेंट, पॉल्युमर क्यूरिंग इन्सट्रूयमेंट एक, फोटो पॉल्युमर रेयसेस एक, प्रिन्टो प्रिन्ट इन्हेनर एक, दो पादर्शी कांच की प्लेट जिसके बीचों-बीच शातिरों द्वारा बनाया गया फिंगर प्रिंट चिपका था।
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