सपा ने माफिया-बाहुबलियों की लिस्ट जारी कर कहा, “ये सब CM योगी के जाति वाले, इसलिए अभी तक बचे और कर रहें अपराध”

बाहुबलियों की लिस्ट
फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी गुलाम की झांसी में एसटीएफ से मुठभेड़ में मौत के बाद विपक्ष लगातार एनकाउंटर पर सवाल उठा रहा। वहीं इस पूरे मामले पर सपा योगी सरकार को घेर रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने खूंखार अपराधी व बाहुबलियों की एक सूची जारी कर सीएम योगी आदित्‍यनाथ पर अपनी जाति वालों अपराधियों को संरक्षण देने का संगीन आरोप लगाया है। सपा ने 17 माफिया, अपराधी व बा‍हुबलियों की सूची जारी करते हुए कहा है यह सब सीएम योगी की जाति वाले है, इसीलिए न सिर्फ अभी तक बचे है, बल्कि अपना गिरोह चलाते हुए अपराध भी कर रहें हैं।

इस बारे में आज सपा के मीडिया प्रकोष्ठ (हैंडल) ने एक ट्वीट के जरिए लिस्‍ट जारी करते सवाल उठाते हुए योगी सरकार से पूछा कि, ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? साथ ही सीएम योगी पर आरोप लगाते हुए आगे दावा किया कि दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं। इसीलिए अभी तक बचे भी हुए हैं अपराध भी कर रहे हैं और गिरोह भी चला रहें। हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, वसूली, रंगदारी सब कर रहे हैं।’’

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साथ ही ट्वीट में एक ‘नोट’ जोड़ते हुए समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा है, लिस्ट पुरानी है, लेकिन इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और सक्रिय हैं।’’ सूची में विभिन्न नेताओं के नाम और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या और उनसे संबंधित जनपद का नाम भी दिया गया है।

सपा के इन आरोप व लिस्‍ट में कितनी सच्‍चाई है ये तो जांच के बाद भी पूरी तरह साफ हो पाएगी, लेकिन सपा व अखिलेश यादव न सिर्फ काफी समय से पुलिस व योगी सरकार पर मुस्लिम, यादव व दलितों की फर्जी मुठभेड़ में हत्‍या करने का आरोप लगाते रहें हैं, बल्कि सरकार से बार-बार यूपी के खूंखार अपराधियों की लिस्‍ट भी जारी करने की मांग करते रहें हैं।

सपा की ओर से आज जारी की गयी लिस्‍ट-

जारी लिस्ट

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बता दें कि कुछ नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी राज्य में पुलिस मुठभेड़ों की बड़ी संख्या पर सवाल उठाए है। पीवीसीएचआर (पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) के संस्थापक संयोजक लेनिन रघुवंशी ने कहा, ‘हमारा विचार है कि पुलिस मुठभेड़ों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कुछ दिशा निर्देश हैं और एनएचआरसी के दिशा निर्देशों के अनुसार एक मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए, जिससे ऐसे मामलों में तस्‍वीर साफ हो जाएगी।’

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