आरयू वेब टीम। दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में हुए प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सार्वजनिक सड़कों और स्थानों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि निर्धारित स्थान पर ही विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए।
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साथ ही आज देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह भी कहा है कि सार्वजनिक इलाकों को प्रदर्शन के लिए नहीं घेरा जाना चाहिए, यह लोगों के लिए परेशानियों का कारण बनती है। अदालत ने कहा कि शाहीनबाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी।
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अदालत ने कहा, प्राधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते हैं। लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं। न्यायमूर्ति संजय कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून के तहत सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर कब्जे के अधिकार के तहत प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
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गौरतलब है कि शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून के लिए प्रदर्शनकारियों ने 100 दिन से अधिक समय तक धरना दिया था, लेकिन इस बीच भारत में घुसी कोरोना वायरस महामारी की वजह से दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया था।