भाजपा-आरएसएस की कथनी व करनी में जमीन-आसमान का फर्क: अखिलेश

अखिलेश यादव
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुधवार को भाजपा के साथ आरएसएस पर भी हमला बोला है। अखिलेश ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस दोनों का चरित्र संदिग्ध है। दोनों की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर पाया जाता है। कहने को बड़े-बड़े वादे और मीठी-मीठी बातें होती हैं, लेकिन हकीकत में झूठ और कुप्रचार ही दिखाई देता है।

सीएम योगी पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री न तो किसानों-नौजवानों का हित कर पाए हैं और नहीं बहू-बेटियों की इज्जत बचा पाते हैं। हर तरह से असफल भाजपा सरकार प्रदेश की जनता पर भार बन गई है।

मुख्यमंत्री को विपक्ष से शिकायतें ही शिकायतें

मुख्यमंत्री को विपक्ष से शिकायतें ही शिकायतें हैं। हर समय उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर सताता है। कभी उन्हें कोई साजिश दिखती है तो कभी विपक्ष के पास विजन न होने की शिकायत होती है, जबकि सच्चाई इसके उलट है कि साजिश रचने में भाजपा की महारथ में तनिक भी किसी को संदेह नहीं। अफवाहबाजी में उनका जवाब नही। रही बात विजन की तो भाजपा का विजन साफ है, समाज को बांटना और नफरत पैदाकर सामाजिक सद्भाव को नष्ट करना है। मुख्यमंत्री को इधर-उधर की बहानेबाजी छोड़कर बताना चाहिए कि उत्तर प्रदेश साढ़े तीन सालों में तबाही के रास्ते पर क्यों चला गया?

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सरकारी झूठ का ताजा नमूना है कि…

हमला जारी रखते हुए सपा अध्‍यक्ष ने कहा कि यूपी में सरकारी झूठ का ताजा नमूना है कि अच्छी क्वालिटी के धान का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित है, जबकि किसान 1000 से लेकर 1300 रुपये प्रति कुंतल तक बेचने को मजबूर है। क्या किसान की दुगनी आय का यही तरीका है? किसान को अगली फसल बोने के लिए खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक की जरूरत पर कर्ज लेना ही होगा? जब कर्ज से उबरने का कोई तरीका नहीं दिखता है तो किसान आत्महत्या कर लेता है।

स्कूल-कालेज बंद, पर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव

अखिलेश ने आज यह भी कहा है कि शिक्षित नौजवान भी मारा-मारा घूम रहा है। प्रदेश में न तो पूंजी निवेश हो रहा है और नहीं नए उद्योग लग रहें हैं। रोजगार के अवसर सृजित होने के बजाय बाधित होते जा रहे है। भर्तियों का हल्ला है पर छंटनी का जोर है। स्कूल-कालेज बंद है पर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव है। गांवों में बिजली नहीं, नेट कनेक्शन नहीं, लैपटाप-स्मार्टफोन नहीं पर सरकार ऑनलाइन पढ़ाई के कसीदे पढ़ रही है।

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