आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के तौर पर भर्ती के लिए सात साल से संघर्ष कर रहे करीब साढ़े छह हजार सहायक शिक्षकों का संघर्ष रंग लाया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने योगी सरकार को मेरिट सूची बनाकर इन्हें जल्द नियुक्ति देने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए उक्त भर्ती में बचे 6470 पदों के लिए कॉमन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए तीन महीनों भरने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने ये फैसला राज्य सरकार व कई अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल 19 विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया है। इनमें से कुछ अपीलों में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।
दरअसल प्राइमरी विद्यालयों के लिए 2016 में 12460 सहायक शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी। इसमें से बचे 5990 चयनित अभ्यर्थियों को छोड़कर बाकी छात्रों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2016 की सहायक शिक्षक भर्ती मामले में कहा कि संबंधित प्राधिकारी, एनसीटीई की अधिसूचना और 26 दिसंबर 2016 के सर्कुलर के तहत संबंधित जिलों के सभी पात्र सहायक शिक्षकों की कॉमन मेरिट सूची तीन माह में तैयार कर सभी पदों को भरने का आदेश दिया है।
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बता दें कि वर्ष 2016 में शुरू हुई इस भर्ती में 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था। इन शून्य खाली पदों वाले जिलों के अभ्यर्थियों को किसी अन्य जिले में आवेदन करने की छूट दी गई थी। मार्च 2017 में पहली काउंसिलिंग हुई, लेकिन उसी समय प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी थी। इस पर कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए।