आरयू वेब टीम। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर चल रही जोड़-तोड़ की राजनीति के बीच सोमवार को शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। इस दौरान विधायकों ने राज्यपाल से जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने की मांग की है।
भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने आज कहा कि उन्होंने 106 भाजपा विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी है। सभी विधायक राज्यपाल के सामने उपस्थित रहें। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि वो विश्वास मत का सामना करने से भाग रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है। राज्यपाल ने हमें आश्वासन दिया है कि हमारे संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा।
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मुलाकात के बाद राज्यपाल लाल जी टंडन ने कहा कि इस मामले पर उचित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने भाजपा को आश्वस्त किया है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। वहीं, भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री विश्वास मत से भाग रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है।
वहीं, आज फ्लोर टेस्ट न कराए जाने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। फ्लोर टेस्ट कैंसल होने के बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि 48 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
एमपी के पूर्व महाधिवक्ता पुरुषिंद्र कौरव ने कहा, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की मांग की।
मालूम हो कि राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यनक्ष को फ्लोर टेस्टल कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद मुख्यजमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को राज्यरपाल को उनकी चिट्ठी का जवाब दिया। कमलनाथ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेाद 175(2) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया। शीर्ष अदालत ने रेबिया एवं बमांग बनाम अरुणाचल प्रदेश के उपाध्य क्ष मामले में इस बाबत व्यनवस्थाद दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में रज्यापाल और विधानसभा के बीच के संबंधों की व्यारख्या की थी।