आरयू वेब टीम। पुलिस कस्टडी में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई की। जिसमें शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान योगी सरकार से कई सवाल का जवाब मांगा है। कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा कि आखिर क्यों अतीक-अशरफ की पैदल परेड कराई गई। गाड़ी सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया। इस पर यूपी सरकार ने कहा कि उसने पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से इस मामले में हलफनामा दाखिल करने और को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार हलफनामे में बताएगी कि किन परिस्थितियों में अतीक अशरफ की हत्या हुई। विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए गठित की गई जस्टिस बीएस चौहान की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने क्या कदम उठाए। इसकी जानकारी भी सरकार को देनी होगी।
दरअसल, याचिका में ये मांग भी की गई है कि 2017 से उत्तर प्रदेश में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमिटी से कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि अब इस मामले पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी।
वहीं, सुनवाई के दौरान जब पहली याचिका को दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने अपने तर्क देने शुरू किए, तो उसी समय योगी सरकार के वकील ने पास ओवर मांगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ये पहली सुनवाई है। अभी तक नोटिस भी नहीं हुआ है और आप पास ओवर मांग रहे हैं।
सरकार की ओर से वकील मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने इस पूरे हत्याकांड के बारे में बताना शुरू किया। इस दौरान उनसे कुछ तीखे सवाल पूछे गए। पीठ ने पूछा कि हत्यारों को कैसे पता की अतीक वहां आने वाला था। ये भी पूछा गया कि एंबुलेंस को अस्पताल के अंदर क्यों नहीं लेकर जाया गया। आखिर क्यों अतीक-अशरफ की पैदल परेड कराई गई।
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इस दौरान याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने कहा कि यूपी सरकार खानापूर्ति कर रही। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में कमीशन बनाया जाए। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमने जांच के लिए दो अलग कमीशन बनाए हैं।
रोहतगी ने कहा कि कोर्ट को नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है, हम रिकॉर्ड पेश करेंगे। जस्टिस भट्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कह रहा है कि एक पैटर्न है, हो सकता है कि आयोग एक सैंपल केस ले सकता है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।