आरयू ब्यूरो, लखनऊ/गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के बाहुबली व पांच बार के विधायक मुख्तार अंसारी को गाजीपुर स्थित मोहम्मदाबाद में कालीबाग कब्रिस्तान में शनिवार को नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है। मुख्तार अंसारी के जनाजे में शामिल होने लोगों का जन सैलाब उमड़ा। भारी संख्या में लोग शनिवार की सुबह से ही इकट्ठा होना शुरू हो गए। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई। इस दौरान भीड़ को पुलिस प्रशासन ने मिट्टी नहीं देने दिया और उन्हें कब्रिस्तान के बाहर ही रोक दिया गया, जबकि परिजनों को अंदर जाने की अनुमति दी गई।
समर्थकों को मिट्टी देने से रोके जाने पर मुख्तार के भाई व सांसद अफजाल अंसारी की अधिकारियों से बहस भी हुई, लेकिन डीएम न यह कहते हुए मना कर दिया कि लोगों के मिट्टी देने के लिए आपने परमीशन नहीं ली है। जिसपर अफजाल अंसारी ने विरोध जताया लेकिन प्रशासन के रवैय्ये के चलते अधिकतर समर्थक मिट्टी नहीं दे सके। इसके चलते गाजीपुर, मऊ व वाराणसी समेत प्रदेश के तमाम शहरों से जुटे मुख्तार अंसारी को मसीहा मानने वालें उनके समर्थकों में काफी नाराजगी दिखी, हालांकि यह नाराजगी किसी प्रदर्शन में नहीं बदली। वहीं कोर्ट से इजाजत नहीं मिलने के चलते बड़ा बेटा व सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी भी जनाजे में नहीं शामिल हो सके।
बाप की मूंछ पर अंतिम बार उमर ने दिया ताव
मिट्टी से पहले मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी ने अपने पिता की मूंछ पर मुख्तार की बहुचर्चित स्टाइल में अंतिम बार ताव दिया और फिर जनाजे की नमाज पढ़ाई गई। मुख्तार अंसारी को सुपुर्दे-ए खाक करने के लिए उनके घर से करीब पांच सौ मीटर दूर पुस्तैनी कब्रिस्तान में कब्र खोदी गई। यह कब्र उनके मां-बाप की कब्र से पांच फीट नीचे (पैर की तरफ) बनाई गई है, इस कब्रिस्तान में अब तक मुख्तार के परिवार से पिता सुबहानल्ला अंसारी और उनकी पत्नी की कब्र अगल-बगल है, जबकि उनके पूर्वजों की कब्र भी आसपास ही है।
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गौरतलब है कि शुक्रवार को मुख्तार अंसारी के शव का पोस्टमार्टम हुआ, फिर शव परिजनों के सुपुर्द करके करीब 4.43 बजे एंबुलेंस से गाजीपुर के लिए भेजा गया था। शव वाहन बांदा से फतेहपुर, कौशांबी, प्रयागराज और भदोही होते हुए रात करीब 10.32 बजे वाराणसी पहुंचा, फिर गाजीपुर रवाना हो गया। मुख्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी और बड़ी बहू निकहत अंसारी बांदा से शव वाहन के साथ आए।
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद से ही गाजीपुर जिले में चप्पे- चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। शुक्रवारी की आधी रात के बाद शव घर पहुंचा तो लोगों की भीड़ अंतिम दर्शन के लिए बेचैन दिखी। इनमें मुसलमानों से कहीं ज्यादा हिन्दूओं की संख्या थीं।
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वहीं किसी अनहोनी की आशंका से पुलिस-प्रशासन ने मुख्तार के आवास के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर भीड़ को नियंत्रित किया था। सुबह से लोगों की भीड़ फिर से जुटने लगी। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वहीं शनिवार को मुख्तार का जनाजा निकला तो लोग अपने-अपने छतों और घर के बाहर खड़े होकर देखते नजर आए।
मुख्तार अंसारी का जनाजा कब्रिस्तान के अंदर गया तो बाहर 20 हजार से अधिक की संख्या में खड़े लोगों की निगाहें अंतिम समय अपने नेता के दीदार को बैचैन दिखीं। सभी कब्र पर मिट्टा डालने के लिए लोग बेताब रहे। मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी और विधायक शोहेल अंसारी भी बार- बार लोगों से अपील कर चुके हैं, लेकिन कोई जाने को तैयार नहीं है।