ट्रामा सेंटर की चौथी मंजिल से मां ने तीन माह के मासूम को फेंककर ली जान, वजह जानकर होगा अफसोस

तीन माह के मासूम
पुलिस की हिरासत में आरोपित मां।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में मंगलवार को दिल दहलाने वाली एक घटना हो गयी। यहां भर्ती तीन माह के मासूम को उसकी ही मां ने चार मंजिल से नीचे फेंक दिया, जिससे मासूम की दर्दनाक मौत हो गयी। तीन बच्‍चों को खोने के बाद बेटे को पैदा करने वाली मां जन्‍म के बाद से ही उसकी बीमारी से काफी परेशान चल रही थी। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची चौक पुलिस ने शव को कब्‍जे में लेकर पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही मां को भी हिरासत में ले लिया है। वहीं घटना के बाद एक बार फिर ट्रामा सेंटर की सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

बताया जा रहा है कि कुशीनगर निवासी राजू सिंह की पत्‍नी शांति देवी ने आज से ठीक तीन महीना पहले 23 अप्रैल को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेटे को जन्‍म दिया था। पैदा होने के साथ ही मासूम लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। गोरखपुर में बेहतर इलाज नहीं मिलने पर बीती 26 मई को घरवालों ने मासूम को केजीएमयू में भर्ती कराया था, जब से शांति देवी ही केजीएमयू में उसकी देखभाल कर रही थी।

तीन माह के मासूम
घटनास्थल पर छानबीन करती पुलिस।

ट्रामा सेंटर के प्रभारी संदीप तिवारी ने बताया कि बीती रात मासूम का पिता राजू व चाचा केजीएमयू परिसर में सो रहे थे, जबकि ट्रामा सेंटर के चौथी मंजिल पर भर्ती बच्‍चे के साथ उसकी मां शांति देवी थी। सुबह करीब साढ़े पांच बजे शांति देवी ने मासूम को चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया।

शुरुआत में शांति देवी ने परिजनों से बच्‍चे के गुम होने की बात कही, हालांकि बाद में उसने मासूम को नीचे फेंकने की बात कबूल कर ली। जानकारी पाकर मौके पर पहुंचे एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि पति की तहरीर पर शांति देवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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तीन बच्‍चों को खोने के बाद से रहती थी परेशान

पति राजू सिंह ने बताया कि उनकी शादी करीब छह साल पहले हुई थी। इस दौरान शांति का तीन बार गर्भपात हो गया। जिसको लेकर वो काफी परेशान रहती थी, काफी जतन इलाज के बाद उसने तीन महीना पहले बेटे को जन्‍म दिया था। जिसके बाद लगा था कि सबकुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन बेटा पैदा होने के साथ ही पेट व लीवर की बीमारी से ग्रस्‍त था। गोरखपुर में डॉक्‍टरों व अस्‍पताल से राहत नहीं मिलने पर करीब दो महीना पहले बेहतर इलाज की तलाश में वो लोग लखनऊ के केजीएमयू पहुंचे थे। हालांकि दो महीने के उपचार के बाद यहां भी कोई खास राहत नहीं मिलने और बेटे की तकलीफ को देखकर शांति काफी दुखी रहती थी।

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