आय से अधिक संपत्ति मामले में उद्धव ठाकरे को बॉम्बे HC से राहत, कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ठोका जुर्माना

आय से अधिक संपत्ति

आरयू वेब टीम। बीते कुछ दिनों से उद्धव ठाकरे मुसीबत में घिरे हुए है। बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई थी कि उद्धव ठाकरे की संपत्ति की जांच की जाए। ऐसे में अब इस याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जांच की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे एडवोकेट को अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि बेसिरपैर के आरोप लगाकर आप आइपीएल दायर कर देते हैं। इससे कोर्ट का समय खराब होता है।

कोर्ट यहीं पर नहीं रुकी, जजों का कहना था कि आपने हमारा कीमती समय खराब किया। लिहाजा आपको 25 हजार रुपये का जुर्माना एडवोकेट वेलफेयर फंड में जमा कराना होगा। वकील ने कोर्ट से माफी भी मांगी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसकी एक न सुनी। जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और वाल्मीकि एसए की बेंच का पारा जनहित याचिका को देखकर ही चढ़ गया। बेंच ने कहा कि आप ठाकरे परिवार की संपत्ति की जांच करने की मांग लेकर हमारे पास आए हो, लेकिन याचिका में एक भी तथ्य नहीं है।

कोर्ट का कहना था कि ये याचिका प्रोसेस ऑफ लॉ के साथ भद्दा मजाक है। आपने बगैर सोचे समझे याचिका दायर कर दी। ये भी नहीं सोचा कि इससे कोर्ट का कीमती समय जाया होगा। आइपीएल में एडवोकेट का आरोप था कि उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के पास बेतहाशा संपत्ति है। ये उन्होंने गलत तरीके से अर्जित की। उसका आरोप ये भी था कि महाराष्ट्र का सीएम रहते हुए भी ठाकरे परिवार ने खूब पैसा बनाया। इसे कई जगहों पर निवेश किया गया है।

एडवोकेट की मांग थी कि हाईकोर्ट अगर ईडी और सीबीआई को जांच करने का आदेश दे तो ठाकरे परिवार का गड़बड़झाला सामने आ सकता है। उसने कोर्ट से दरखास्त की कि ये मामला जनहित का है, क्योंकि जो पैसा ठाकरे परिवार ने बनाया उस पर आम लोगों का हक है। लिहाजा जांच कराई जानी बेहद जरूरी है।

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गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम थे, लेकिन शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उनको इस्तीफा देना पड़ा। शिवसेना के कई नेताओं ने पाला बदल कर लिया। फिलहाल उद्धव का शिवसेना पर भी अधिकार नहीं रहा। चुनाव आयोग ने उनसे पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर कमान छीनकर मशाल थमा दी है। उद्धव ठाकरे पिता बाला साहेब की स्थापित पार्टी पर फिर से कब्जा पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं।

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