आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी निकाय चुनाव को लेकर गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने योगी सरकार को ओबीसी आयोग की रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार दिनों का समय दिया है। दरअसल मार्च महीने में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर ओबीसी आयोग ने रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी, लेकिन ये रिपोर्ट प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक नहीं की थी। रिपोर्ट के सार्वजनिक न किए जाने पर हाई कोर्ट में आरक्षण को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। जिस पर लखनऊ बेंच ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज निकाय चुनाव में आरक्षण संबंधी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति रंजन राय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को तलब किया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आदेश दिया है।
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बता दें कि यूपी सरकार के मंत्री एके शर्मा ने 30 मार्च को आरक्षण सूची जारी की थी। उन्होंने एक सप्ताह तक आपत्ति दाखिल करने का समय दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता विकास अग्रवाल ने लखीमपुर के पंचायत सीट आरक्षित किए जाने को लेकर चुनौती दी। याची के वकील गौरव मल्होत्रा ने कोर्ट में दलील दी है कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक ही नहीं किया गया, जबकि 30 मार्च की अधिसूचना पर आपत्ति दाखिल करने के लिए छह अप्रैल की अंतिम तिथि नियत कर दी गई। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक तौर पर जिन जातियों को पिछड़ी जाति माना गया है, उनकी सूची भी सार्वजनिक की जानी चाहिए।
साथ ही दलील दी गई कि यह स्पष्ट ही नहीं किया गया है कि कौन सी पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं। तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि निकाय चुनाव के संबंध में पिछड़ा वर्ग को डाटा के आधार पर चिह्नित किया जाना आवश्यक है। कहा गया कि रिपोर्ट के उपलब्ध न होने की वजह से याची 30 मार्च की अधिसूचना पर संतोषजनक आपत्ति नहीं दाखिल कर सका है।