आरयू वेब टीम। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी से चंद दिनों पहले सामने आए मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट के मामले में ट्विटर ने गाजियाबाद पुलिस को जवाब दिया है। ट्विटर का ये जवाब गाजियाबाद पुलिस को मिल चुका है। गाजियाबाद पुलिस से ट्विटर ने कहा है कि वो उत्तर प्रदेश पुलिस के सवालों का सामना करने के लिए तैयार हैं।
ट्वीटर ने कहा कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ के लिए उपलब्ध है। हालांकि गाजियाबाद पुलिस ट्विटर के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और उसकी तरफ से कहा गया कि वो ट्वीटर को दोबारा नोटिस भेजेंगे। गौरतलब है कि गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को एक नोटिस भेजकर उन्हें यहां इस महीने की शुरुआत में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हुए कथित हमले से संबंधित मामले की जांच में शामिल होने को कहा था।
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया था कि ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को मामले में अपना बयान दर्ज कराने के लिए सात दिनों के भीतर यहां लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में पेश होने के लिए कहा गया है। इस मामले में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस अधीक्षक (गाजियाबाद ग्रामीण) इराज राजा ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया, ‘‘मनीष माहेश्वरी ट्विटर इंडिया के एमडी हैं और उन्हें कल सीआरपीसी की धारा 166 के तहत एक नोटिस भेज कर जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया है। उनसे कुछ अन्य जानकारियां भी मांगी गयी हैं और उन्हें स्थानीय पुलिस थाने में पेश होने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।’’
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गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्यूनिकेशन्स इंडिया, न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’, पत्रकार मोहम्मद जुबेर, राणा अयूब, लेखिका सबा नकवी के अलावा कांग्रेस नेता सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी और शमा मोहम्मद पर मामला दर्ज किया। उन पर एक वीडियो पोस्ट करने को लेकर मामला दर्ज किया गया जिसमें अब्दुल समद सैफी नाम के बुजुर्ग व्यक्ति ने दावा किया कि पांच जून को गाजियाबाद के लोनी इलाके में कुछ लोगों ने उन्हें पीटा और ‘‘जय श्री राम’’ बोलने के लिए मजबूर किया।
पुलिस ने दावा किया कि साम्प्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए यह वीडियो साझा किया गया। पुलिस ने कहा कि यह घटना ‘तावीज’ से जुड़े एक विवाद का नतीजा थी जो बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने कुछ लोगों को बेचा था और उसने मामले में किसी में किसी भी साम्प्रदायिक पहलू को खारिज कर दिया।
सैफी बुलंदशहर जिले के रहने वाले हैं। इस वीडियो को लेकर देश भर में लोगों ने प्रतिक्रियाएं दी थीं। इसमें सैफी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि उन पर कुछ युवकों ने हमला किया और ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया।
हालांकि जिला पुलिस ने कहा कि उन्होंने घटना के दो दिन बाद सात जून को दर्ज करायी प्राथमिकी में ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया। 15 जून को दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक बयान जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद आरोपितों ने अपने ट्विटर हैंडल से यह वीडियो नहीं हटाया। इसके अलावा ट्विटर इंक और ट्विटर कम्यूनिकेशंस इंडिया ने उनके ट्वीट हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया था कि सैफी पर हमला करने वालों में हिंदू के साथ-साथ मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल थे और यह घटना उनके बीच निजी विवाद का नतीजा थी न कि साम्प्रदायिक घटना थी।