आरयू ब्यूरो, लखनऊ। शासनादेश के बाद भी खासकर जनता से सीधे जुड़े नगर निगम, बिजली विभाग, जल निगम व विकास प्राधिकरणों समेत अन्य सरकारी विभागों में समूह ‘ग’ के कर्मियों के लंबे समय से एक ही सीट व क्षेत्र में जमे रहने की शिकायतों के बाद मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सख्त कदम उठाया है।
एक ही सीट पर पांच से दस सालों से तैनात कर्मियों के मनमानी व भ्रष्टाचार करने की बात सामने आने पर मुख्य सचिव ने शुक्रवार को आदेश जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों के विभागाध्यक्ष व कार्यालयाध्यक्ष को तीन साल से अधिक एक ही जगह तैनात कर्मियों को न सिर्फ हटाने को कहा है, बल्कि अगामी 30 जून तक प्रमाण पत्र देकर बताने का भी निर्देश दिया है कि उनके अधीन मुख्यालय या कार्यालय में तीन साल से अधिक समय से नियुक्त सभी कर्मचारी का पटल व क्षेत्र बदल दिया गया है।
आज शाम जारी शासनादेश में कहा गया है कि सरकारी कार्यालयों में कार्य की शुचिता बनाए रखने के लिए शासन स्तर से समय-समय पर इस आशय के आदेश जारी किए जाते रहे हैं। शासन के संज्ञान में आया है कि अभी भी उन आदेशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा।
30 जून तक हर साल हो परिवर्तन
समूह ‘ग के कर्मचारियों का पटल परिवर्तन एवं क्षेत्र (फील्ड) में कार्यरत कर्मचारियों का क्षेत्र परिवर्तन तीन वर्ष के बाद प्रतिवर्ष 30 जून तक अनिवार्य रूप से कर दिया जाए।
संवेदनशील-लोक व्यवहार के पदों का परिवर्तन हो शीर्ष प्राथमिकता पर
सभी विभागाध्यक्ष व कार्यालयाध्यक्ष यह देंखेंगे कि पटल व क्षेत्र परिवर्तन की व्यवस्था का कड़ाई से पालन हो। संवेदनशील या लोक व्यवहार के पदों के संबंध में भी व्यक्तिगत रूप से समीक्षा कर संबंधित कर्मचारी का पटल क्षेत्र परिवर्तन शीर्ष प्राथमिकता पर किया जाए।
हटने के बाद भी न बना रहे प्रभाव
इसमें यह भी कहा है कि परिवर्तन के बाद भी अनौपचारिक रूप से संबंधित पटल या क्षेत्र पर पूर्व में तैनात कर्मचारी का प्रभाव न बना रहे। साथ ही वह अनौपचारिक रूप से पूर्व में तैनाती की जगह पर संबंद्ध होकर काम नहीं करे।
अपरिहार्य स्थिति में लेनी होगी मंजूरी
यदि किसी कर्मचारी का शासकीय कार्यहित में पटल-क्षेत्र परिवर्तन न किए जाने की अपरिहार्य स्थिति हो तो इस संबंध में उन परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए एक निश्चित अवधि के लिए संबंधित कार्मिक का पटल क्षेत्र परिवर्तन न किए जाने के लिए विभागाध्यक्ष या कार्यालयाध्यक्ष द्वारा स्थानान्तरण के लिए निर्धारित स्तर से एक स्तर ऊपर का अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाए।