विधानसभा सत्र में सपा का जोरदार प्रदर्शन, सुरक्षाकर्मियों ने कवरेज कर रहे पत्रकारों के साथ की मारपीट

विधानसभा सत्र में प्रदर्शन
सदन में प्रदर्शन करते अखिलेश-शिवपाल व सपा के अन्य विधायकगण।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो गया। सत्र की शुरुआत के पहले दिन दोनों सदन- विधानसभा और विधानपरिषद के संयुक्त सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अभिभाषण पढ़ा। सत्र से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव शिवपाल यादव की अध्यक्षता में विधानसभा में जोरदार प्रदर्शन किया गया हैं। इस प्रदर्शन को कवर करने गई मीडियाकर्मियों के साथ सुरक्षाकर्मियों व मार्शल ने धक्का मुक्की और मारपीट की। जिससे मीडियाकर्मियों में भी गुस्सा देखने को मिला।

इस संबंध में एक सीनियर फोटोग्राफर ने कहा कि बिना किसी बात के मार्शलों ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की। ना सिर्फ उन्हें रोका गया, बल्कि उनके साथ मारपीट, धक्का-मुक्की और गलत व्यवहार कर वहां से धकेल के बाहर किया गया। इसपर पत्रकारों ने कार्रवाई की मांग की है।

वहीं सपा विधायक हाथों में तख्तियां लेकर विधानसभा के प्रवेश द्वार पर धरने पर बैठे। शिवपाल ने मीडिया से कहा कि वे चाहते हैं कि सत्र चले ताकि वे जनहित के मुद्दों को उठा सकें। शिवपाल यादव की अगुवाई में विधायक परिसर में हाय-हाय के नारे लगाते हुए धरने पर बैठ गए। इस दौरान विधायकों की पुलिस और मार्शलों से नोकझोंक भी हुई। सपा विधायकों ने सदन के अंदर भी आज अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया।

इस दौरान अखिलेश यादव ने कानपुर देहात में मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा,” कानपुर देहात में मां-बेटी की जान गई है, उसका कारण है सरकार, प्रशासन और बुलडोजर। क्या आज के समय में बुलडोजर चलाएंगे आप? आप बुलडोजर लेकर घूम रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि इन्वेस्टमेंट आएगा। आप सपने कितने बड़े दिखा रहे हैं, जो अपने गमले नहीं बचा पा रहे हैं, पेड़-पौधे सूख गए हों, उनसे इन्वेस्टमेंट क्या उम्मीद करोगे।”

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अखिलेश ने जातीय जनगणना की मांग को एक बार फिर दोहराया। विधानसभा के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा,”सपा पहली बार जातीय गणना के पक्ष में नहीं है। देश के बहुत सारे दल भी इसके पक्ष में हैं। हम आज फिर से जातीय जनगणना की मांग करते हैं। सबका साथ-सबका विकास तभी सं‌‌भव है, जब जातीय जनगणना हो। मुख्यंमंत्री दूसरे प्रदेश से आए हैं। उन्हें यूपी की जातीय जनगणना से कोई मतलब नहीं है।”

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