प्रधानमंत्री के शिलान्‍यासों को अखिलेश ने बताया विकास का सपना बेचने की असफल कोशिश

विकास का सपना

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 60 हजार करोड़ रुपये की 81 निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास करने को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने हवाई बताया है। पीएम के कार्यक्रम के बाद रविवार को अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री लखनऊ में दो दिन विकास का सपना बेचने का  असफल प्रयास करते नजर आए हैं। वे शिलान्यासों से अपनी खोई लोकप्रियता और विश्‍वसनीयता को बचाना चाहते है।

किसान परेशान, नौजवान त्रस्‍त…

अखिलेश ने हमला जारी रखते हुए कहा कि भाजपा सरकार का काम जमीन पर कहीं दिखाई नहीं दिया है। किसान परेशान है, नौजवान बेरोजगारी से त्रस्त है, आम जनता मंहगाई की मार झेल रही है और महिलाओं से लेकर बच्चियां तक दुष्कर्म की शिकार हो रही है।

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सपा सरकार के मुकाबले नहीं लागू कर पाए योजना

इतना ही नहीं सपा अध्‍यक्ष ने पीएम के भव्‍य कार्यक्रम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की तमाम घोषणाएं और उनका प्रायोजित भव्य स्वागत मुख्यमंत्री इसलिए करा रहे हैं, क्योंकि वे समाजवादी सरकार की योजनाओं के मुकाबले की एक भी योजना अब तक लागू नहीं कर पाए हैं।

छह महीनों से पीटा जा रहा ढिंढोरा

बीते फरवरी में हुई इन्‍वेस्‍टर्स समिट का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पिछले छह महीनों से निवेश का खूब ढिंढोरा पीटा जा रहा है, पर सच्चाई यह है कि जिस राज्य में कानून-व्यवस्था का संकट होगा वहां विकास की योजनाएं कैसे सफल हो सकेंगी।

सांप्रदायिक नीतियों का मुकाबला करने में सपा है सक्षम

सीएम योगी आदित्‍यनाथ की बात करते हुए अखिलेश ने आगे कहा कि उनके भाषणों में समाजवादी पार्टी पर इसलिए हमले होते हैं, क्योंकि भाजपा की नफरत और समाज को तोड़ने वाली सांप्रदायिक नीतियों का मुकाबला करने में सपा सक्षम है।

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सबसे ज्‍यादा की जा रही किसानों की उपेक्षा

इस दौरान किसानों की बात करते हुए सपा अध्‍यक्ष ने कहा कि अन्नदाता माने जाने वाले किसानों की भाजपा सरकार में सबसे ज्‍यादा उपेक्षा की जा रही है। साल 2017-18 में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रूपया बकाया चल रहा है। जबकि भाजपा ने खुद 14 दिनों में बकाया अदायगी का वादा किया था, देर होने पर ब्याज सहित भुगतान किया जाना था। इसका अब तक भुगतान न होना भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को उजागर करता है। गन्ना का लाभकारी मूल्य भी कम रखा गया है। भाजपा सरकार की अनदेखी से सैकड़ों किसान लागत मूल्य न मिलने से निराश और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर चुके है।

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