आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता गांवों में चौपाल लगाने के साथ ही रात्रि विश्राम कर ग्रामीणों का भला करने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चौपाल और रात्रि विश्राम को गांवावालों के लिए मुसीबत बताया है।
शनिवार को सपा अध्यक्ष ने अपने एक बयान में मीडिया से कहा कि इन दिनों गांवों में किसान अपनी फसल की मड़ाई-कटाई में व्यस्त हैं। उसके लिए ये बहुत काम के दिन हैं, क्योंकि फसल की कमाई से ही उसका और उसके परिवार का जीवन चलता है, लेकिन इन्हीं दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री व मंत्री गांवों में चौपाल और रात्रि विश्राम करने लगे है। जिससे गांववालों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो रही है।
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मंत्री नेताओं के गांव में पहुंचने से सरकारी अमले की भाग-दौड़ से गांव के लोग अपने जरूरी काम भी नहीं निबटा पा रहे हैं। गांवों में विकास कार्य पहले से ही रूके हैं। चौपाल लगने से कोई सकारात्मक परिणाम भी नहीं निकल रहे हैं। वहीं योगी सरकार ने चौपाल की बहुत चर्चा की है, लेकिन उसका नतीजा अब तक जीरो ही है।
योगी सरकार को किसानों के प्रति लापरवाह बताते हुए सपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा सरकार को अगर किसानों की चिंता होती तो वे फसल कटाई के मौसम में कम से कम गांवों में अव्यवस्था नहीं फैलाते।
मंत्रियों की सुनने को भी तैयार नहीं अधिकारी
अखिलेश यादव ने योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि अब अधिकारी मंत्रियों की सुनने को भी तैयार नहीं तो अंदाजा लग जाता है कि इस सरकार के क्या हाल हैं। यह भी विडम्बना है कि मंत्रिमंडल के सहयोगी मंत्री और विधायक खुद अपनी ही सरकार और अपने मुख्यमंत्री की भी खिलाफत कर रहे, जो किसी से भी छिपी नहीं है।
… तो जनता का क्या होगा
वहीं पिछली दिनों केशव मौर्या के एक ट्वीट का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि एक उपमुख्यमंत्री ने तो अधिकारियों पर अपने कार्यकर्ताओं का ही उत्पीड़न करने का आरोप लगा दिया है। जब सरकार में उनकी नहीं सुनी जा रही तो आम जनता का क्या हाल होगा?
आत्महत्या करने को मजबूर है किसान
वहीं अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार को वादाखिलाफी वाली सरकार बताते हुए कहा कि गेंहू किसान को उसकी फसल का निर्धारित मूल्य भी नहीं मिल रहा है, लेकिन उसकी आय दुगना करने का झूठा आश्वासन दिया जा रहा है। किसान का गन्ना खेतों में है। बकाया भुगतान नहीं हो रहा। आलू किसान को भी बहुत भरोसा दिलाया गया था, लेकिन उन्हें भी धोखा ही मिला। भाजपा ने गांव और किसान को बर्बाद करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। किसान की कर्ज माफी नहीं हुई। जिससे वह आत्महत्या करने को मजबूर है।
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