किसानों के लिए दिखावटी आंसू बहानें वाली योगी सरकार बकाया देने में भी कर रही आनाकानी: सुरेंद्र त्रिवेदी

बढ़ाई बेरोजगारी
सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी। (प्रवक्ता, रालोद)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। गन्‍ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर बुधवार को राष्ट्रीय लोकदल ने योगी सरकार पर हमला बोला है। रालोद के प्रदेश प्रवक्‍ता ने आरोप लगाते हुए कहा है कि किसानों के लिए योगी सरकार दिखावटी आंसू तो खूब बहाती है, लेकिन सच्‍चई ये है कि सरकार किसानों को उनका ही बकाया भुगतान देने में आनाकानी कर रही है।

आज अपने बयान में सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि गन्ना पेराई सत्र चालू हो चुका है और चीनी मिलों पर 15,683 करोड रूपये आज भी बकाया है। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बकाया गन्ना मूल्य के ब्याज का हजारों करोड़ रूपया मिल मालिक दबाये बैठे हैं। प्रदेश सरकार अपनी किसान विरोधी नीति अपनाते हुए चीनी मिलों पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाने में नाकाम साबित हो रही है। हमला जारी रखते हुए सुरेंद्रनाथ ने कहा कि योगी सरकार किसानों के प्रति दिखावटी आंसू बहाने की हमदर्दी को दिखाने के बजाय धरातल पर यदि कुछ भी सहायता करने में असमर्थ है तो कम से कम किसानों का ही बकाया दे दें।

रालोद प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि सरकार को चाहिए कि ऐसी मिलों को बेचकर किसानों का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान किया जाय और ऐसा भी सम्भव न हो तो मिलों का अधिग्रहण करके किसानों के प्रतिनिधियों के ही हवाले कर दिये जाय, ताकि वे मिले चलवाकर अपना गन्ना मूल्य वसूल सके।

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वहीं केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए सुरेंद्रनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार अरबों रूपया पूंजीपतियों को कोरोना महामारी की सहायता के रूप में देने का ढिंढोरा पीट रही है फिर कृषि प्रधान देश में गन्ना किसानों के ऊपर इस प्रकार की बेरहमी दिखाना कहां तक उचित है कि किसानों को अपना बकाया मूल्य भी न मिल सके। यदि गन्ना अधिनियम के अनुसार 14 दिन के पश्‍चात बकाया मूल्य पर ब्याज पाने का प्रत्येक गन्ना किसान हकदार है।

रालोद प्रवक्ता ने प्रदेश सरकार से गन्ना किसानों का भुगतान ब्याज सहित तत्काल कराने की मांग करते हुए कहा कि सरकार मिल मालिकों के प्रति प्रेम को तिलांजलि दे और यदि सरकार भुगतान करने अथवा कराने में अक्षम है तो मिलों का अधिग्रहण करके गन्ना समितियों के प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाय। नहीं तो प्रदेश के मुखिया को किसानों के प्रति हो रहे अत्याचार को देखते हुए नैतिकता के आधार पर अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।

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