बैनर हटाने-लगाने की खींचतान के बीच योगी सरकार ने कैबिनेट में पास किया संपत्ति नुकसान की वसूली के लिए ये अध्यादेश

वसूली के लिए अध्यादेश
हजरतगंज चौराहे पर लगा आरोपितों का पोस्टर।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद संपत्ति नुकसान की भरपाई को लेकर शहर भर में बैनर-पोस्टर लगाकर रिकवरी पर मचे विवाद व हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी योगी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है। शुक्रवार शाम योगी सरकार ने नया कदम उठाते हुए हाई कोर्ट से पोस्टर हटाने के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से स्टे न मिलने के बाद अब सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई को लेकर एक अध्यादेश पास किया है।

कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रेसवार्ता कर मीडिया को बताया कि हाई कोर्ट में रिट याचिका 2007 में उच्चतम न्यायालय ने विशेष रूप से यह कहा था कि देश में राजनीतिक दलों को अवैध प्रदर्शनों हड़ताल बंद के आह्वान पर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों पर उपद्रवियों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है। इसमें अवैध उपद्रवियों से रिकवरी के लिए संपत्ति के नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। इसी मद्देनजर कैबिनेट में प्रस्ताव रखा गया जिसे सर्व सम्मति से पास कर दिया गया।

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आज शाम को योगी की कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत किसी आंदोलन, धरना व प्रदर्शन में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा, तो उसकी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था इसी के तहत की जाएगी। इसके लिए नियमावली तैयार कर कैबिनेट में पास करायी जाएगी, लेकिन फिलहाल अध्यादेश लाया गया है। नियमावली में इस बात को भी स्पष्ट किया जाएगा कि पोस्टर लगा सकते हैं या नहीं।

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यहां बताते चलें कि लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में 57 आरोपितों से क्षतिपूर्ति के नोटिस के बाद पुलिस-प्रशासन ने राजधानी लखनऊ के सार्वजनिक स्‍थानों पर आरोपितों के होर्डिंग व बैनर लगा दिए थे। लखनऊ के पोस्टर्स की चर्चा जब मीडिया के जरिए जगह-जगह होने लगी तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रविवार को छुट्टी के दिन इस मामले में संबंधित अधिकारियों को तलब कर लिया। यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए पोस्टर लगाने को जायज ठहराया था। कोर्ट सरकार के तर्क और रुख से संतुष्ट नहीं हुई और राज्य सरकार को पोस्टर्स हटाकर 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। इसके बाद भी यूपी सरकार ने पोस्टर्स नहीं हटाये और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

वहीं यूपी सरकार के हाईकोर्ट के चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की पीठ ने इस मामले को तीन जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया है।

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ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तीन जजों की पीठ का गठन करेंगे और तब सुनवाई की तारीख तय होगी। जाहिर है ये प्रक्रिया 16 मार्च से पहले नहीं पूरी हो सकती, क्योंकि शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट बंद रहेगा। ऐसे में योगी सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर एक विकल्प निकाला है। अध्यादेश लाने के फैसले से साफ है कि योगी सरकार पोस्टर विवाद में झुकने या पीछे हटने को तैयार नहीं है।

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वहीं इससे पहले प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए योगी सरकार के प्रवक्‍ता व कैबिनेट मंत्री सिर्द्धानाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट मीटिंग में कुल 30 प्रस्तावों को आज मंजूरी मिली है। इसमें सबसे अहम यह है कि सरकार ने उत्तर प्रदश रिकवरी पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को पास किया है।