आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सीएए व एनआरसी के विरोध के दौरान पिछले साल 19 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में भड़की हिंसा के मामले में पुलिस-प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। हिंसा करने के मामले में 57 आरोपितों से सरकारी व निजी संपत्तियों के क्षति की भरपाई के लिए पुलिस-प्रशासन ने हजरतगंज समेत पुराने लखनऊ के कई चौराहों पर उनकी फोटो लगवाकर जुर्माना नहीं भरने पर कुर्की करने की चेतावनी दी है।
इन होर्डिंग में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास, मौलाना कल्वे सादिक के बेटे कल्वे सिब्तेन, रिटायर्ड आइपीएस अफसर एसआर दारापुरी, कांग्रेस की नेता व सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर की तस्वीरें लगीं हैं।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने मीडिया को राजस्व कोर्ट स्तर से नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। 19 दिसंबर को किए गए हिंसक प्रदर्शनों में 1.61 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ थी। रिकवरी के लिए उपद्रवियों को नोटिस जारी कर दी गयी है। 30 दिन में अगर कलेक्ट्रेट कोषागार में जुर्माने की रकम नहीं जमा कि जाएगी तो उपद्रवियों की कुर्की कर जुर्माने की भरपाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें- लखनऊ में CAA के खिलाफ प्रदर्शन, बवाल, फायरिंग में युवक की मौत, फूंकीं गई पुलिस चौकी व दर्जनों वाहन, तोड़फोड़, पथराव, लाठीचार्ज
बताते चलें कि बीते 19 दिसंबर को पुराने लखनऊ के खदरा, हुसैनाबाद, परिवर्तन चौक, कैसरबाग व अन्य इलाकों में सीएए व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान उपद्रवियों ने सरकार व प्राइवेट सैकड़ों वाहनों समेत अन्य चल-अचल संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। इस दौरान गोली लगने से एक युवक की मौत भी हो गयी थी। जबकि बड़ी संख्या में प्रदर्शकारी, पुलिस व आम लोग घायल हुए थे।
यह भी पढ़ें- #CAA: बवाल-आगजनी पर सीएम योगी सख्त, उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर की जाएगी भरपाई
लखनऊ प्रशासन की जांच में 57 लोगों को सरकारी व प्राइवेट संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना गया था। वहीं पुलिस ने संबंधित धाराओं के तहत इन पर मुकदमा दर्ज करते हुए कुछ आरोपितों को जेल भेजा था, जबकि हिंसा भड़काने के मामले में अन्य आरोपितों की पुलिस अब भी तलाश कर रही है।
यह भी पढ़ें- जेल से रिहा हुए पूर्व IPS दारापुरी व सदफ जफर, CM योगी पर बोला हमला, कहा जेल जानें-पिटने का डर हो गया दूर
वहीं मुस्लिम धर्म गुरु समेत, एसआर दारापुरी व सदफ जाफर समेत अन्य आरोपितों ने बाहरी लोगों द्वारा हिंसा भड़काने का आरोप लगाने के साथ ही पुलिस-प्रशासन द्वारा झूठा आरोप लगाने की बात कही थी।